श्याम कुमार
लखनऊ के माल एवेन्यू में स्थित विशाल बंगला रोशनी में नहाया
हुआ इस कहावत को चरितार्थ कर रहा था कि घूरे के दिन भी फिरते हैं। बंगले की
रंगबिरंगी जगमगाहट एक दिन पहले से शुरू हो गई थी। ऐसा लग रहा था, जैसे यहां किसी बहुत बड़े विवाह-समारोह की सजावट है। पर यह धूम शादी की नहीं, जन्मदिन की थी। जन्मदिन भी ऐसे व्यक्ति का, जिसने कभी उत्तर
प्रदेश में अपने अथक प्रयास से विकास का जबरदस्त ढांचा तैयार किया था। जो कभी देश
का प्रधानमंत्री हो सकता था, किन्तु उसकी पार्टी के वंशवाद ने ऐसा नहीं होने
दिया। जो कभी देश के ‘प्राण प्रदेश’ विशाल उत्तर प्रदेश का चार बार मुख्यमंत्री रह
चुका था और जिसे बाद में उत्तर प्रदेश का एक अंग काटकर बनाए गए छोटे-से राज्य का
मुख्यमंत्री बना दिया गया था। उस राज्य में जब वह संकट में घिरा तो उसकी पार्टी ने
उससे किनारा कर लिया और वह अलग-थलग पड़ गया था। ऐसे में उसका हाथ थामने एक व्यक्ति
सामने आया, जिसके दिल में उसकी महत्ता और योगदान की बहुत अधिक कद्र थी। उपेक्षित
व्यक्तित्व नारायण दत्त तिवारी थे और उनका हाथ थामने वाले व्यक्तित्व मुलायम सिंह
यादव। मुलायम सिंह यादव नारायण दत्त तिवारी को देहरादून से लखनऊ ले आए। इसके साथ
लखनऊ में वीरान पड़ा हुआ बड़ा बंगला, जो प्रदेश के पूर्व-मुख्यमंत्री के रूप में
नारायण दत्त तिवारी को शुरू से आवंटित था, रौनक से भर उठा।
वहां नित्य मिलने वालों का तांता लग गया, जिनमें बड़ी संख्या में पुराने साथी व प्रषंसक
षामिल थे। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने नासमझी-भरा कदम उठाकर उत्तर प्रदेश का
एक अंग काटकर अलग राज्य बना दिया था, किन्तु नारायण दत्त तिवारी रूपी उत्तर प्रदेश के
जिगर के टुकड़े को मुलायम सिंह पुनः लखनऊ ले आए। इससे उत्तर प्रदेश की जनता के दिल
में यह कामना भी हिलोरें लेने लगी कि काश, मुलायम सिंह
यादव अलग कर दिए गए पर्वतीय अंचल को उसके मूल घर उत्तर प्रदेश से पुनः जोड़ने का
प्रयास करें!
नारायण दत्त तिवारी के आवास पर जन्मदिन की तैयारियां एक दिन
पहले से शुरू हो गई थीं और आज सबेरे से बधाई देने वालों का क्रम शुरू हो गया था।
दिन में नारायण दत्त तिवारी सरोजिनी नगर में आयोजित अपना महत्वपूर्ण कार्यक्रम
निपटाकर जब आवास पर लौटे तो फिर बधाई देने वालों ने घेर लिया। षाम को बंगले के
रास्ते में दूर-दूर तक वाहनों की कतार लग गई। तिवारी जी के आवास पर एक भव्य मंच
बनाया गया था, जिस पर निरन्तर सांस्कृतिक कार्यक्रम चल रहे थे।
बहुत बड़े पैमाने पर तरह-तरह के व्यंजनों के भोज का प्रबन्ध था। चाट के दौर अलग चल
रहे थे। सरोजिनीनगर के कार्यक्रम में मुलायम सिंह नारायण दत्त तिवारी के साथ थे।
अब सांयकाल मुख्यन्त्री अखिलेश यादव, मन्त्री राजेन्द्र चौधरी आदि के साथ तिवारी जी
के आवास पर आए और काफी समय तक उनके साथ बैठे रहे। उन दोनों के चारो ओर कमाण्डो
घेरा बनाए हुए थे, जो किसी को नारायण दत्त तिवारी या अखिलेश यादव
के पास नहीं जाने दे रहे थे। तिवारी जी के विषेश कार्याधिकारी भवानी भट्ट खूब
सजे-धजे थे और इधर-उधर भागदौड़ कर रहे थे। भवानी भट्ट बड़े मृदु स्वभाव के हैं, किन्तु आज वे अपनी पूरी रौ में थे तथा किसी को भाव नहीं दे रहे थे। वह जिसे
चाहते थे, वही कमाण्डो के घेरे के भीतर नारायण दत्त तिवारी के पास जा सकता था। नारायण
दत्त तिवारी का यह जन्मदिन लोगों को याद रहेगा।
(श्याम कुमार)
सम्पादक, समाचारवार्ता
ईडी-33 वीरसावरकर नगर
(डायमन्डडेरी), उदयगंज, लखनऊ।
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ई-मेल : kshyam.journalist@gmail.com
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