बुधवार, 21 अगस्त 2013

संपादकीय - मोदी का मिशन 2014 और मुस्लिम वोट

हालांकि एक के बाद एक सर्वे जो आ रहे हैं वह भले ही एनडीए को डेढ़ सौ के आसपास 2014 के लोकसभा चुनाव में सीटें दे रहे हों पर नरेन्द्र मोदी की अगुवाई से उत्साहित बीजेपी ने अकेले 272 सीटें जीतने का टारगेट तय कर लिया है। रविवार को नई दिल्ली में हुई राष्ट्रीय चुनाव अभियान समिति की पहली बैठक में पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि पार्टी इस बार अपने दम पर बहुमत हासिल कर लेगी। बैठक में लाल कृष्ण आडवाणी सहित तमाम नेता मौजूद थे। बैठक की अध्यक्षता नरेन्द्र मोदी ने की। उन्होंने राजनाथ सिंह की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अगर 272 सीटों का मकसद हासिल करना है तो देश के मतदाताओं के हर तबके को साथ लेने की कोशिश करनी होगी। 

उन्होंने कहा कि मुस्लिम वोट बीजेपी को नहीं मिलेंगे, यह मानने की कोई वजह नहीं है। उन्होंने कहा कि जब गुजरात में 25 फीसदी मुस्लिम वोट हमें दे सकते हैं तो दूसरे राज्यों में क्यों नहीं दे सकते? गुजरात में मुस्लिम मतदाता के मोदी को वोट देने पर मैं कुछ आंकड़े आपको बताना चाहता हूं जो कुछ दिन पहले गुजरात के एक मुस्लिम नेता श्री जफर सुरजेवाला ने बताए। उन्होंने कहा कि अकसर यह सवाल पूछा जाता है कि पिछले 10 सालों में गुजरात में खासकर गुजराती मुस्लिमों की तरक्की के लिए मोदी ने क्या किया? 2012 के विधानसभा चुनावों में 31 फीसदी मुस्लिमों ने बीजेपी को वोट दिया था। मोदी को 2002 दंगों के लिए दिन-रात कोसा जाता है। 

बेशक यह दंगे मोदी के लिए एक बदनुमा दाग है पर ऐसा नहीं कि दंगे पहले नहीं हुए और देश के अन्य भागों में नहीं हुए। भारत में आजादी के बाद के इतिहास में सबसे भयानक दंगे 1969 में अहमदाबाद (गुजरात) में हुए थे जिसमें 5000 मुस्लिम मारे गए थे। उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री कांग्रेस के हितेन्द्र भाई देसाई थे और देश की प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी। इसके बाद दूसरा बड़ा दंगा 1985 में गुजरात में हुआ जिसके बाद अन्य छोटे दंगे हुए जो महीनों तक चले। तब गुजरात के मुख्यमंत्री कांग्रेसी माधव जी सोलंकी थे और भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी। 

1987 में गुजरात में फिर दंगे हुए और तब भी गुजरात के मुख्यमंत्री कांग्रेस के अमर सिंह चौधरी थे। इसके बाद 1990 में फिर दंगों की आग गुजरात में भड़की। उस समय भी गुजरात के मुख्यमंत्री कांग्रेस के चिमन भाई पटेल थे और आखिर में 1992 में हुए दंगों के समय भी गुजरात के मुख्यमंत्री कांग्रेस के ही थे। गुजरात के इतिहास के सैकड़ों दंगों में से इन 5 बड़े दंगों के लिए हमारे बुद्धिजीवी और मुस्लिम किसे जिम्मेदार मानेंगे? और याद रखिए कि गुजरात में 2002 के बाद से अमन और शांति कायम है। तो क्या आज तक मुस्लिमों की प्रिय कांग्रेस ने उन दंगों में मारे गए मुस्लिमों के लिए कभी अपने मुंह से एक भी शब्द निकाला? क्यों कांग्रेस केवल 2002 दंगों के लिए रोती रहती है? कांग्रेस के राज में उन दंगों में मारे गए मुस्लिमों का खून-खून न होकर पानी था क्या? जब गुजरात के मुस्लिम 2002 दंगों को भूल चुके हैं तो कांग्रेस क्यों इन्हें बार-बार उछालती है

मीडिया इस बात को नहीं नोट करती कि गुजरात विधानसभा चुनाव (2012) में 8 में से 6 मुस्लिम बहुल सीटों में बीजेपी जीती थी और 2013 के स्थानीय निकायों में भी मुस्लिमों ने बीजेपी को ही वोट दिया। इसका प्रमुख कारण है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात में शांति-अमन और विकास का युग रहा और मुस्लिम बस इतना ही चाहते हैं क्योंकि तरक्की करने में वह सक्षम हैं अगर सुख-शांति रहे। हाल ही में सलमान खान के पिता व क्रिप्ट लेखक सलीम खान ने एक टीवी चैनल पर सवाल किया कि महाराष्ट्र में जब सांप्रदायिक दंगे हुए थे तो कौन बताएगा उस समय के मुख्यमंत्री का नाम? मलियाना दंगों में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन था? मेरठ दंगों में मुख्यमंत्री कौन था? जब बिहार के भागलपुर में दंगे हुए तो कांग्रेस का शासन था। क्या किसी को याद है कि 1984 के दंगों (दिल्ली) में कौन इंचार्ज था? तो फिर क्यों अकेले नरेन्द्र मोदी को 2002 के दंगों के बारे में लपेटा जाता है

मोदी ने गुजरात में विकास का नया तरीका जो अपनाया है उसमें धर्म, जात का कोई स्थान नहीं। इसी वजह से सम्मानित मुस्लिम स्कॉलर मौलाना वास्तानवी जो खुद एक गुजराती मुसलमान हैं ने कहा था कि गुजराती मुस्लिमों ने मोदी सरकार की नीतियों का भरपूर फायदा उठाया है। एक अन्य नॉन रेजिडेंट गुजराती लॉर्ड एडम पटेल (इंग्लैंड) जब भारत आए थे तो उन्होंने गांधी नगर जाकर मोदी से मुलाकात की और गुजराती मुस्लिमों की तरक्की पर बधाई दी। यही नहीं कि गुजरात के मुस्लिम ही अकेले मोदी शासन की तारीफ करते हैं। मिली गजेट को दिए एक साक्षात्कार में पूर्व डीजी महाराष्ट्र एसएम शरीफ ने कहा कि तमाम भारत में मुस्लिमों के लिए सबसे सुरक्षित जगह गुजरात है। उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिमों को सबसे ज्यादा नुकसान महाराष्ट्र ने पहुंचाया है। यहां पिछले दस सालों से कांग्रेस-एनसीपी का शासन है। 

मुझे याद है कि एक बार मशहूर फिल्म डायरेक्टर महेश भट्ट ने चुनौती भरे स्वर में कहा कि नरेन्द्र मोदी सुन रहे हों? जिस मजहब को तुम आए दिन कहते हो कि यह आतंकवादियों की अगोसनी है उसके रसूल ने क्या कहा है...? महेश भट्ट को कुछ दिनों के बाद मोदी ने फोन किया कि महेश भाई 5 मुस्लिम आएं, 50 आएं, 500 आएं या 5000 आएं मैं मिलने को तैयार हूं मैं आपकी सारी समस्याओं को हल करने के लिए तैयार हूं। गुजरात में मुस्लिम मदरसे के छात्र अब एसएससी और 12वीं का इम्तिहान दे सकते हैं। मुस्लिम स्कूलों और अस्पतालों की संख्या बढ़ी है। हज यात्रा के लिए जहां गुजराती मुस्लिमों का कोटा 3500 का है वहां 41000 लोग अब तक आवेदन दे चुके हैं। हज पर जाना मुस्लिमों की आर्थिक, सामाजिक तरक्की सुरक्षा का प्रतीक है। गुजरात में कच्छ और भरोच में ऐसे क्षेत्र हैं जहां तेजी से विकास हुआ है। 

कच्छ में 35 फीसदी मुस्लिम हैं भरोच में लगभग 20 फीसदी। गुजरात सरकार के मुलाजिमों में 10 फीसदी मुस्लिम हैं जबकि पुलिस में 12 फीसदी। इन सबके बावजूद कांग्रेस नरेन्द्र मोदी को मुस्लिमों का दुश्मन कहे तो इसके पीछे उद्देश्य साफ है। यह केवल रानजीतिक खेल है और वोट बैंक की राजनीति है और यह बात अब मोदी भी समझते हैं और मुस्लिम भी। ऐसी कोई वजह नहीं कि भारत के मुस्लिमों को नरेन्द्र मोदी से नफरत हो।

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