बुधवार, 26 जून 2013
सोमवार, 24 जून 2013
इज़हार-ए-ग़म
जीशान खान
दिल्ली के चाँदनी महल में हुआ हादसा पर मेरी माँ ने एक ग़ज़ल कहने की कोशिश की है......
गिरता हो मकान मौत का सामान बन गया..
लोगों की सिसकियों का निगहेबान बन गया...
बच्चे किसी के गुज़रे तो कोई बड़ा हो गया...
लाशों का ढेर जैसा के शमशान बन गया...
निकले थे पढ़ने घर से 2 भाई जो एक साथ...
एक भाई अब बच्चा है और एक बेजान बन गया...
मलबे से जब निकला तो बस्ता था उसके साथ...
मार कर भी इल्म का वो कद्रदान बन गया...
टूटा है दिल ये किसकी आवाज तक नहीं...
तोड़ा है जिसने दिल को वो नादान बना दिया...
जिनके गए हैं जान से उनकी सुने कोई...
हर लम्हा उनका अब तो परेशान बन गया...
पैसा नहीं अगर तो क़दर कोई क्यों करे...
पैसा वह रिश्तेदारी की पहचान बन गया...
मिलते हैं जो भी अपने वो करते हैं ये करम....
रिश्तों को अब निभाना भी अहसान बन गया...
भुला है हर रफीक को जब से हुआ मशहूर...
पाकर दुआएं सबकी जो सुल्तान बन गया...
फिरदौस की दुआ है ना आए कभी भी पेश...
वो वाकया जो मौत का ऐलान बन गया...
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सपा सरकार को बर्खास्त करें राज्यपालः डा. अय्यूब
पीस पार्टी के पांचवें स्थापना दिवस 10 फरवरी 2013 को सत्ता संकल्प दिवस के रूप में मना रहे पार्टी कार्यकर्ताओं को सम्बोधित अपने संदेश में उक्त उदगार व्यक्त करते हुए डा. अय्यूब ने कहा कि हम कांग्रेस, भाजपा, सपा और बसपा जैसी साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ मैदान में है देश की जनता को इनका असली चेहरा बेनकाब कर समतामूलक, भ्रष्टाचार मुक्त समाज और विकासपरक राष्ट्र की स्थापना पीस पार्टी का मकसद है। उन्होंने कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे आगामी लोकसभा चुनावों के लिये कमर कस कर तैयार हो जाये और इन दलों की कुत्सित मानसिकता से जनता को अवगत कराते हुये पार्टी को मजबूत करें।
उन्होंने कहा कि मुस्लिमों की हिमायती होने का दिखावा कर सत्ता हासिल करने वाली समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने सबसे ज्यादे मुसलमानों का अहित किया है। आंकड़ों की तिकड़मबाजी व उन्हें गुमराह कर उनका वोट हासिल करना ही सिर्फ इनका असली मकसद रहा है। सत्ता से बाहर रहने पर मुस्लिम हितैषी होने का दिखावा करना और सत्ता पाते ही हर प्रकार से मुसलमानों को दबा कर उन्हें भयभीत कर अपना वोट बैंक बनाये रखने की साजिश रचना इनका असली मकसद है। इसका सबूत है प्रदेश में समाजवादी पार्टी के सत्तासीन होते ही चारो तरफ दंगे और मुसलमानों पर अत्याचार वारदातों में लगातार बढ़ोत्तरी होना। कोसीकलां-मथुरा, अस्थाना-प्रतापगढ, बरेली, गौतमबुद्धनगर, मसूरी-गाजियाबाद व फैजाबाद के दंगों में जहां निर्दोशों मुसलमानो की हत्यायें हुई, उनके मकान और दुकान जलाये गये लेकिन इसके जिम्मेंदारों के विरुद्ध कोई कार्यवाही न होना सपा सरकार की मुस्लिम विरोधी व आर.एस.एस के साथ सांठ-गांठ जनता के सामने उजागर करती है।
प्रदेश की सपा सरकार पर प्रहार करते हुये उन्होंने कहा कि चुनाव पूर्व मुसलमानो से किया गया अपना वादा भूल कर समाजवादी पार्टी अपने फायदे के लिये कार्य कर रही है। सपा ने वादा किया था कि सत्ता में आने पर वह जेलों में बंद निर्दोष मुसलमानों को रिहा करायेगी। उनके लिये रोजगार की व्यवस्था करेगी। बुनकरों व दस्तकारों को बिना व्याज का कर्ज, उद्योग का दर्जा, बिजली की उपलब्धता के साथ कर्जमाफी का तोहफा देगी मगर सत्ता में आने के बाद जब वादों को पूरा करने का वक्त आया तो समाजवादी पार्टी ने अपने वायदो से उलट जेलो में बंद अपने समाज के गुण्डे व माफिया साथियों को रिहा किया।
मुसलमानों को रोजगार की व्यवस्था के स्थान पर उनके परम्परागत रोजगार को भी खत्म करने की साजिश शुरु कर दी। बुनकरों व दस्तकारों की भलाई के लिये सपा सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया आज भी प्रदेष के हजारों बुनकर व दस्तकार कामगार कर्जमाफी व बिजली की उपलब्धता की आस में भूखों मरने को मजबूर है, सपा सरकार को मुसलमानों की यह हालत सुधारने का यह ध्यान तो नही आया मगर यादव भाइयों के व्यव्साय तबेलों को उद्योग का दर्जा देकर उसने अपनी मानसिकता एक बार फिर उजागर कर दी। 18 प्रतिषत आरक्षण देने का वादा पूरा होने की आस में मुसलमान युवा अपने आप को छला महसूस कर रहा है।
कांग्रेस पार्टी मुसलमानों को सबसे बड़ी दुष्मन बताते हुये उन्होने कहा कि अपने शासन काल में 1400 से अधिक दंगों और हजारों निर्दोश मुसलमान युवकों, उलेमा-ए-कराम को जेल की सलाखों के पीछे भेजने और एण्काउन्टर के नाम पर उनका कत्ल और उन्हें बदनाम करने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुये डा. अय्यूब ने कहा कि अपने फायदे के लिये कांग्रेस के लोगांे ने भाजपा का भय दिखा कर मुसलमानों को दबाये रखा उनका वोट हासिल किया मगर अपना एक भी वादा पूरा नही किया। रंगनाथ मिश्र कमीशन की रिर्पोट को वर्षों दबाये रखने रखने के बाद उसे आज भी कांग्रेस सरकार ने लागू नही किया नहीं सच्चर कमेटी की सिफारिशों को अमल में ला रही है।
उन्होने कहा कि पीस पार्टी सत्ता में आने पर अपने वादो को ईमानदारी से पूरा करेगी और देश में समतामूलक व भ्रष्टाचार मुक्त समाज की स्थापना के सिद्धान्त पर कार्य करेगी।
सोमवार, 17 जून 2013
जल भराव पर कराया कमिश्नर का दौरा
गुरुवार, 13 जून 2013
बब्बी कुमारी के ज़ज्बे को सलाम
राजीव गुप्ता
देवरिया। वर्तमान समय में बब्बी कुमारी दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से सोशियोलोजी की छात्रा हैं और इस समय ग्रीष्मावकास और वृद्ध पिता जी की तबियत ठीक न होने के कारण इन दिनों देवरिया जिले के साहबाज़पुर गाँव में अपने घर आयीं हुई हैं. इन्होने सपने मे भी नही सोचा था कि परिवार और समाज के चलते इतनी मुसीबतों का सामना करना पडेगा. दरअसल परिवार और समाज़ के दबाव के चलते इनका विवाह उस समय हुआ था जब यें बारहवीं कक्षा की छात्रा थी. परंतु पढने की ललक के चलते उस समय इन्होनें विवाहोपरांत ससुराल जाने से मना कर दिया परिणामत: ‘गवना’ की रश्म को कुछ दिनों के लिये टाल दिया गया. इन्होने अपने पति जो कि एक अनपढ हैं और कमाने के लिये शुरू से ही शहर मे रहते थे, से अपनी पढने की इच्छा जतायी तो उन्होने किसी भी प्रकार की सहायता देने के लिये मना कर दिया. परंतु इस बहादुर बेटी ने हार न मानने की ठान ली. माता-पिता की अस्वस्थता और उनकी निर्धनता के चलते इन्होने अपने स्नातक की पढाई का सारा खर्च दूसरे के खेतों मे मजदूरी कर उठाया. बहन की पढने की इस लगन को देखकर इनके बडे भाई जो कि उस समय खुद पढाई करते थे, ने अपनी बहन को दूसरे के खेत में मजदूरी के लिये जाने हेतु मना कर खुद मजदूरी करने लग गये. बहन-भाई की इस मेहनत का परिणाम सकारात्मक आया.
कालंतर में बब्बी कुमारी का स्नातकोत्तर हेतु जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सोशियोलोजी कोर्स मे चयन हो गया और बब्बी कुमारी जे.एन.यू. चली गयी. जब इनकी ससुराल वालों को बब्बी कुमारी की इस सफलता के बारे में पता चला तो उन्होने ‘गवना’ के लिये समाज की सहायता से इनके परिवार वालों के ऊपर दबाव बनाना शुरू किया परंतु बब्बी कुमारी और इनके भाई मुन्ना किसी भी प्रकार के दबाव के आगे नही झुके. बब्बी कुमारी बताती है कि जे.एन.यू. जाने के बाद जबतक छात्रावास नही मिला तबतक यह वहाँ के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक छात्रा के साथ कुछ दिनों तक रही. नम आँखों से बब्बी कुमारी ने बताया कि उनके साथ ऐसा समय कई बार आया जब इनके पास न्यूनतम कपडे तक नही होते थे और आर्थिक तंगी से परेशान होकर एक बार तो इन्होने आत्महत्या तक विचार बना लिया था परंतु इन्होने अपनी गरीबी को ही अपनी असली ताकत बनाने की सोचा. कुछ महीने बाद इन्हे छात्रावास मिला तथा छात्रावृत्ति भी मिलने लगी और आगे की पढाई का मार्ग प्रशस्त हुआ. इन्होने अपने पति से कई बार आर्थिक मदद के लिये कहा परंतु हर बार वो मना कर देता था. हारकर इन्होने भविष्य में अपने पति से कोई रिश्ता न रखने के लिये कहा तो उसने कुछ पैसे भेजें. इनकी आर्थिक – स्थिति को इनके साथ रहने वाली मित्र से जब नही देखा गया तो वह आगे आयी और इनकी हर प्रकार की सहायता की.
जे.एन.यू के एम.फिल की प्रवेश परीक्षा देकर ये अपने गाँव चली आयी. इनके गाँव आते ही इन्हे जबरदस्ती ससुराल ले जाने के लिये इनके ससुराल वालें कई लोगों के साथ इनके घर आ धमके. परंतु जब इनके भाई और इन्होने अपने ससुराल वालों के इस कृत्य का विरोध किया तो सैकडों गाँव वालों और खाप पंचायत के सामने अनुसूचितजाति-समाज की इस बेटी को खीँचकर ले जाने की कोशिश की गई परंतु इनके भाई के अलावा किसी ने भी इस कृत्य को रोकने की हिम्मत नही दिखायी. चिंतन-मनन के पश्चात किसी प्रकार वहाँ उपस्थित लोगों से इन्होने अगले दिन तक का समय मांगा और दिल्ली स्थित एक स्वतंत्र पत्रकार राजीव गुप्ता को फोनकर अपनी सारी स्थिति बताते हुए मदद मांगी. बस यही से इस पूरे घटनाक्रम मे तेज़ी से बदलाव आया. अगली सुबह ही जिला उप-जिलाधिकारी श्री दिनेश गुप्ता के संज्ञान मे सारा विषय आ गया और प्रशासन के सकारात्मक सहयोग और दूरदर्शिता के चलते दोनों परिवारवालों के बीच विवाह-खत्म करने की सहमति बनी. समाज-उपेक्षा से बब्बी को तो अब मुक्ति मिल जायेगी परंतु अभी भी बब्बी कुमारी की आर्थिक समस्या मुँह बाये खडी है फिर भी बब्बी कुमारी ने नेट, जे.आर.एफ जैसी छात्रवृत्ति पाने की आशा रखते हुए प्रशासनिक सेवा में जाने का अब मन बना लिया हैं.
- राजीव गुप्ता, स्वतंत्र पत्रकार , 09811558925
गुरुवार, 6 जून 2013
नाले में युवक का शव मिला
संवाददाता
पूर्वी दिल्ली। दिल्ली के सीलमपुर इलाके में नाले में शव मिलने से सनसनी फ़ैल गई इस नाले को गोकुलपुर ड्रेन के नाम से जाना जाता है और आज कल इस नाले को बनाये जाने का कार्य चल रहा है जब सुबहा लेबर काम करने पहुंची तब किसी ने शव को पानी में तेरते देखा और पुलिस को सुचना दी गई पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जी .टी बी हॉस्पिटल में पोस्टमार्टम के लिए रखवा दिया है और मामले की जाँच में जुट गई है आखिर ये युवक कोन है और ये हादसा है फिर कोई जानभुझ की गई वारदात खबर लिखे जाने तक युवक की पहचान नहीं हो सकी।
मंगलवार, 4 जून 2013
दाऊद-छोटा राजन: दोस्त कैसे बने दुश्मन?
हैदर अली
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