बसंत कुमार
कुछ दिन पूर्व
पाकिस्तान द्वारा समर्थित भारत में आतंकी हमले के कारण दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण
माहौल रहा और कई दिनों चले अघोषित युद्ध के बाद सीजफायर की घोषणा हुई। इस बीच सोशल
मीडिया पर एक्टिव लोगों और कुछ स्वयंभू चैनलों और पत्रकारों ने बिना सिर पैर की
खबरें फैलाकर देश के वातावरण को इतना तनावपूर्ण बना दिया कि देश के सभी लोग डरे व
सहमे हुए थे। दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच सोशल मीडिया पर गलत और भ्रामक
सूचनाओं की बाढ़-सी आ गई थी। कुछ चैनलों और सोशल मीडिया वालों ने तो भारतीय सेना
द्वारा पाकिस्तान पर कब्जा कर लेने की बात कह दी थी। वहीं कुछ ने आधा पाकिस्तान को
तबाह होने की बात कर दी थी। कभी-कभी इनके द्वारा इतनी भ्रामक और झूठी खबरें फैला
दी गई की कि देश के आम जन मानस के मन में इतना डर और खौफ फैल गया कि लोग देश में
असुरक्षित महसूस करने लगे थे और इस बीच कुछ अनाड़ी लोग मीडिया चैनलों पर विशेषज्ञ
के रूप में आकर बेतुकी राय देने लगते हैं जैसे भारतीय फौज अनाड़ियों से भरी है।
विदेश और रक्षा
मामलों के जानकारों ने दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव की स्थिति में सोशल मीडिया
और कुछ चैनलों पर इस तरह की सामग्री की बाढ़ आने पर चिंता जताते हुए कहा कि
नागरिकों को सोशल मीडिया का उपयोग करते समय बहुत ही सावधानी बरतने चाहिए और साथ ही
इस सामग्री को लोगों के बीच शेयर करने में भी संयम बरतना चाहिए क्योंकि इस तरह कि
जानकारियां भ्रामक होती हैं और सत्य से परे होते हैं। सिर्फ सोशल मीडिया ही नहीं
आज घर-घर चल रहे चैनलों की भूमिका भी इस विषय में बहुत विवादित रही है। कुछ चैनल
तो सरकार या सत्ता में बैठे राजनीतिक दलों को खुश करने के लिए ऐसा प्रसारित कर
देते हैं कि मानों एक पक्ष ने दूसरे पक्ष कि धरती पर कब्जा कर लिया हो। दोनों देशों
के बीच चल रहे तनाव पर कुछ चैनल समाचार देते रहे कि भारतीय सेना कराची तक पहुंची
या फिर पाकिस्तानी सेना ने सरेंडर कर दिया है। आज कि वैश्विक राजनीति में किन्हीं
दो देशों के बीच चल रहे युद्ध या तनाव सिर्फ दो देशों के बीच तनाव नहीं होते बल्कि
उसका असर पूरे महाद्वीप या पूरे विश्व पर पड़ता है।
कुछ स्वयंभू
रक्षा विशेषज्ञ भारत पाकिस्तान युद्ध और फिर सीज़फायर पर अपना ज्ञान बांट रहे हैं
जबकि वाट्सअप यूनिवर्सिटी से प्राप्त किया हुआ उनका आधा-अधूरा ज्ञान इन गंभीर
विषयों पर विचार व्यक्त करने के लिए काफी नहीं होता। इस विषय में सरकार के उच्च
अधिकारियों, रक्षा
मंत्री, विदेश
मंत्री या फिर प्रधानमंत्री को ही पता होता है कि इस प्रकार की युद्ध की स्थिति के
लंबा खींचने पर देश को कितना नुकसान हो सकता है। इसलिए जो लोग
भारत पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर के लिए बगैर सोचे-समझे प्रधानमंत्री को कोस रहे
हैं उन्हें मामले की गंभीरता को समझना चाहिए और सोशल मीडिया और चैनलों पर इस मामले
में अपना विशेष राय देने से बचना चाहिए। उनकी अधकचरे जानकारी वाली कमेंट सैनिकों
का मनोबल गिराती हैं।
इस विषय में
कुछ लोग जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पसंद नहीं करते, एका एक उन्हें
देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी की याद आने लगी हैं जिन्हें सभी लोग
आयरन लेडी कहते थे पर ये लोग शायद यह भूल गए है कि बांग्लादेश युद्ध के दौरान जब
उन्हें नेता विपक्ष अटल बिहारी वाजपाई ने दुर्गा कहा था यानि 1971 में पूरा
विश्व दो महाशक्तियों संयुक राष्ट्र अमेरिका और सोवियत यूनियनों (यूएसएसआर) में
बंटा हुआ था और यदि अमेरिका पाकिस्तान के साथ खड़ा था तो सोवियत यूनियन भारत के
साथ खड़ा था। इसी कारण श्रीमति इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति निक्की और उनके सातवें
बेड़े की परवाह किए बिना अपनी राह में आगे बढ़ गई। इसके अतिरिक्त उनके सहयोगी के
रूप में रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम और भारतीय सेना चट्टान की तरह साथ खड़ी थी और
आज की तरह सोशल मीडिया और चैनल सरकार और सेना का मनोबल नहीं गिरा रहे थे जैसा आज
के समय चल रहा है।
अपनी रक्षा
संबंधी तैयारियां का राजनीतिक लाभ लेने की चेष्टा करना भी आत्मघाती होता है। हमने
यह कभी नहीं सुना कि अमेरिका, फ्रांस, चीन,
रूस जैसे देश अपनी ख़तरनाक मिसाइल या औजार किस शहर में बनाते हैं न के इन
चीजों का प्रचार ही करते हैं क्या कोई बता सकता है इन विकसित देशों के औजार बनाने
के कारखानों की लोकेशन क्या है। अटल जी की सरकार के समय परमाणु परीक्षण (बुड्ढा
स्माइल) का पता दुनिया को तब पता लगा जब इसका परीक्षण सफल हो गया पर आज के भारत
युग में यह नहीं हो पा रहा है, भारत की ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण उत्तर प्रदेश के लखनऊ
शहर में स्थित कारखाने में हो रहा है। इस बात का प्रचार उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा
ऐसे जोर-शोर से किया जा रहा है जैसी भारतीय सेना के लिए यह मिसाइल उत्तर प्रदेश
बना रही है। इससे दुश्मन देशों को इस बात पता नहीं लग जाएगा कि इस मिसाइल का
निर्माण कहां हो रहा है और यह सुरक्षा की दृष्टि से उचित नहीं है ऐसी भी जानकारी आ
रहीं है कि ब्रह्मोस मिसाइल की जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को भेजने
के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है। अतः यही अपेक्षा की जानी
चाहिए कि सुरक्षा संबंधी तैयारियों का राजनीतिक लाभ न लिया जाए।
भारत की यह
परम्परा रही है कि जब भी देश दुश्मन के साथ युद्ध की स्थिति में रहा हो सरकार और
विपक्ष ने एक साथ मिलाकर सेना और जनता का हौसला बढ़ाने का काम किया है। सबको याद
है कि 1971 के
भारत पाक युद्ध के दौरान विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपाई ने प्रधानमंत्री इंदिरा
गांधी को दुर्गा कहा था और युद्ध के समाप्ति के पश्चात यूएनओ में भारत का पक्ष
रखने के लिए नेता विपक्ष अटल बिहारी वाजपाई जी को भेजा गया था। आज पांच दशक बाद भी
पूरे विपक्ष ने सरकार के साथ खड़े रहकर भारत की एकता और अखंडता दिखाई पर मीडिया के
लोगों ने भारत-पाक युद्ध के बारे में झूठी व भ्रामक खबरें फैलाकर देश की जनता के
मन में झूठा भ्रम फैलाने का काम किया। अब समय आ गया है कि इन इलेक्ट्रोनिक मीडिया और
सोशल मीडिया पर शिकंजा कसा जाए।
(लेखक एक पहल एनजीओ के राष्ट्रीय
महासचिव और भारत सरकार के पूर्व उपसचिव है।)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें