शुक्रवार, 31 मई 2024

भारत के समाचार पत्रों के महापंजीयक कार्यालयों की मनमानी नीतियों का कड़ा विरोध करने के लिए आंदोलन करने पर विचार

भारत के समाचार पत्रों के महापंजीयक द्वारा इस वर्ष से प्रकाशकों को विषम परिस्थितियों में डाल दिया गया है । प्रेस सेवा पोर्टल के माध्यम से प्रकाशकों को अपने-अपने समाचार पत्र व पत्रिकाओं को बंद करने का कुचक्र रचा गया है । एक तरफ तो समाचार पत्र को व्यवसाय या उद्योग का दर्जा सरकार ने आज तक नहीं दिया है । वर्षों से समाचार पत्रों व पत्रिकाओं के पंजीयन प्रमाण पत्र जारी नहीं किए गए है । अनेकों मामले शीर्षक संबंधी मामले लम्बित है । पंजीयन प्रमाण पत्र में संशोधन के मामले लम्बित है । इन सब प्रकरणों को निस्तारित किए बिना प्रेस सेवा पोर्टल को लागू किया जाना न्याय संगत नहीं है । ज्ञातव्य हो कि प्रेस सेवा पोर्टल में अनेकों ऐसे प्राविधान रखे गए हैं जिन्हें छोटे व मझौले समाचार पत्रों व पत्रिकाओं के प्रकाशकों के द्वारा पूरा किया जाना असंभव है । प्रेस सेवा पोर्टल शुरू किए जाने से पूर्व सभी समाचार पत्रों के संगठनों से विचार विमर्श किया जाना चाहिए था । इस वर्ष वार्षिक विवरणी ऑनलाइन दाखिल करने के लिए पहले पंजीकरण करना होगा । फिर मालिक, प्रकाशक, मुद्रक, प्रिंटिंग प्रेस, चार्टर्ड एकाउंटेंट की प्रोफाइल बनाकर अपलोड करनी पड़ेगी । प्रोफाइल के बिना वार्षिक विवरण को दाखिल नहीं कर पाएंगे । साथ ही प्रिंटिंग प्रेस को जीएसटी में पंजीकृत होना चाहिए । अन्यथा प्रकाशक वार्षिक विवरण प्रस्तुत नहीं कर पाएंगे । ऐसा लगता है कि सरकार ने प्रिंट मीडिया को समाप्त करने की योजना को मूर्त रूप देने के लिए प्रेस सेवा पोर्टल की योजना को लागू किया है । हम आव्हान करते कि इस प्रेस सेवा पोर्टल का सभी प्रकाशकों को बहिष्कार करना चाहिए । जब तक प्रेस सेवा पोर्टल में वार्षिक विवरण को दाखिल करने में सरलीकरण न कर दिया जाए तब तक किसी हालत में वार्षिक विवरण प्रस्तुत नहीं किया जाएं । वर्तमान परिदृश्य में सभी प्रकाशकों को एकता के साथ इस सरकारी कुचक्र का कड़ा विरोध करने की जरूरत है । अन्यथा छोटे व मझौले अखबारों को सरकार बंद करने की योजना में सफल हो जायेगी । लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद केंद्रीय संचार ब्यूरो, प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो व भारत के समाचार पत्रों के महापंजीयक कार्यालयों की मनमानी नीतियों का कड़ा विरोध करने के लिए आंदोलन करने पर विचार किया जाएगा । सरकार को दमनात्मक नीतियों को वापिस लेने के लिए मजबूर किया जाएगा ।

सरदार गुरिंदर सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष
सदस्य, भारतीय प्रेस परिषद

एल. सी. भारतीय
सदस्य, भारतीय प्रेस परिषद

अशोक कुमार नवरत्न, राष्ट्रीय महासचिव
पूर्व सदस्य, भारतीय प्रेस परिषद
All India Small & Medium Newspapers Federation, New Delhi.

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