शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2024

भर्ती परीक्षाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार युवाओं के साथ घोर अत्याचार

 बंसत कुमार

17-18 फ़रवरी को उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में अनुचित संसाधनों का इस्तेमाल करने के आरोप में 244 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस खबर के खुलासे के बाद समाजवादी पार्टी समेत सभी विपक्षी दलों ने सरकार पर भर्ती परीक्षा में हो रही गड़बड़ी में संलिप्त होने का आरोप लगाते हुए इस परीक्षा को निरस्त करके दुबारा से भर्ती परीक्षा आयोजित करने की मांग की है। यह सिर्फ एक परीक्षा में धांधली का मामला नहीं है बल्कि विगत कुछ वर्षो में आयोजित होने वाली अधिकांश परीक्षाओं में इस तरह की धांधली सामने आ रही है। इसी कारण से दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान परीक्षाओं में सफल होने के लिए अभ्यर्थियों द्वारा की जा रही धांधली को अफ़सोसजनक बताया। न्यायालय ने आगे कहा कि इस धांधली का परिणाम यह है कि निर्दोष और ईमानदार छात्र अपने साथ के लोगों के अव्यस्थित और अमर्यादित आचरण का शिकार बन रहे हैं। ऐसी स्थिति में राज्य और उनकी एजेंसियों के पास परीक्षा को पूरी तरह रद्द करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचता है।

न्यायालय की पीठ ने आगे कहा कि यह देखा गया है कि ऐसी परीक्षाएं आयोजित करने वाली एजेंसियों के लिए यह निर्धारित करना और पहचानना बेहद मुश्किल हो जाता है कि कितने छात्र इस तरह के तरीको और अनियमितताओं में शामिल हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली कौशल उद्यमिता विश्वविद्यालय द्वारा अधिसूचित रिक्ति में जूनियर सहायक के पद के लिए कई उम्मीदवारों की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कानून का सुव्यवस्थित सिद्धांत यह है कि चयन प्रक्रिया को दागदार नहीं किया जा सकता। किसी भी प्रकार की परीक्षा आयोजित करते समय चयन प्रक्रिया की पवित्रता बनाये रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। मजे की बात यह है कि इस तरह की गड़बड़ी के लिए देश में एक सॉल्वर गैंग काम कर रहा है जिससे असली अभ्यर्थी के स्थान पर किसी और को बैठाकर प्रश्न पत्र हल कराए जाते हैं। यद्यपि पुलिस एवं प्रशासन दावा कर रही है कि दो दिन चली उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा में धांधली रोकने के कड़े इंतजाम किये गए थे।

पारंपरिक पुलिस के साथ-साथ सीसीटीवी, ड्रोन कैमरे, जैमर और बायोमैट्रिक संसाधनों का इस्तेमाल कर फर्जी अभ्यर्थियों, पेपर लीक और साल्वर गैंग पर नजर रखी गई। कई जगहों पर छात्राओं के जूड़े तक चेक किये गए। इसके लिए पुलिस के साथ आरएएफ और पीएसी को भी लगाया गया, साथ ही एसटीएफ भी लगातार निगरानी करती रही थी। इसके बावजूद प्रदेश भर में तमाम सालवर और अनुचित संसाधनों का प्रयोग करने वाले अनेक अभ्यर्थी गिरफ्तार किए गए। कहने का अभिप्राय यह है की सरकार की ओर से इतने भारी भरकम इंतजाम के बावजूद फर्जीवाड़ा रोकने में सरकार कामयाब नहीं हो पाई। नकल की कोशिश में लगे लोगों के पास से भारी संख्या में नकल सामग्री, माइक्रोफोन, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, फर्जी एडमिट कार्ड, फर्जी आधार कार्ड आदि बरामद किए गए। अभ्यर्थियों को नकल कराने के एवज में लाखों रूपए की नगद राशि वसूली गई। कहीं-कही तो सालवर ब्ल्यूटूथ डिवाइस से नकल कराते हुए पकड़े गए।

इस परीक्षा में पेपर लीक का मुद्दा भी बहुत गरमाया हुआ है। सोशल मीडिया के साथ-साथ विपक्षी दलों ने भी इसे खूब उछाला। एक ओर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखकर इस परीक्षा को निरस्त कर दुबारा परीक्षा आयोजित करने की मांग की। वहीं कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने कहा कि जो युवा रोजगार चाहते हैं वे इसके लिए परीक्षा की तैयारी करते हैं और पेपर देने जाते हैं पर इससे पहले ही पेपर लीक हो जाता है। पेपर लीक हो जाने से लाखों युवा निराश हैं और उनके मन में आक्रोश है। यह पहली बार नहीं हो रहा है, पेपर लीक होने की घटनाएं पूरे देश में वर्षों से हो रही हैं। उत्तर प्रदेश में ये घटनाएं तब भी हो रही थी जब प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में मुलायम सिंह यादव, मायावती और अखिलेश यादव थे। लगभग एक दशक पहले जब उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव जी मुख्यमंत्री थे तब सिपाहियों की भर्ती हुई जिसमें रिश्वत लेकर और अन्य अनियमितताओं के आरोप लगे फिर भी इस परीक्षा से चुने हुए अभ्यर्थी ड्यूटी भी जॉइन कर लिए गए पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद उन्हें घर बैठा दिया गया पर उसके बाद मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके न्यायालय के आदेश आने के बाद दुबारा ड्यूटी पर बुला लिया गया। इस प्रकार की घटनाओ से युवा जो रात-दिन एक करके परीक्षा की तैयारी करते हैं उनमें निराशा व्याप्त होती हैं।

यह हाल सिर्फ उत्तर प्रदेश पुलिस का ही नहीं है। देश के अधिकांश भर्ती बोर्डों का यही हाल है, दो वर्ष पूर्व रेलवे में ग्रुप डी की भर्ती प्रक्रिया हुई और इसमें भारी पैमाने पर सालवर्स के इस्तेमाल होने की खबरे आई और रेल प्रशासन को युवाओ का विरोध झेलना पड़ा। कई जगह गाड़ियां रोकी गई, अगर इसी प्रकार सरकारी नौकरियों में धांधलियां चलती रही तो सरकार पर, न्यायालय और प्रशासन पर से लोगों का भरोसा उठ जायेगा। इस तरह की भर्ती भी हमारी सरकार की सेवाओ की दक्षता पर भी असर डालेंगी। आज हमारे गांवों में रहने वाले मध्यम वर्ग के युवाओं के मन में यह भ्रांति उठने लगी है कि रसूक और पैसे के बगैर सरकारी नौकरी मिलना मुश्किल है। युवाओं के मन से यह भ्रम निकालने के लिए हमें अपनी भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शिता पूर्ण बनाना होगा और तभी हम अपने प्रशासनिक इकाइयों से बेहतर परिणाम की आशा कर सकेंगे। गलत रास्ते से चुनकर आए लोग धनवान बनने के लिए गलत ही करेंगे और हमें यह बात समझ लेना चाहिए। सरकार को भी भर्ती प्रक्रिया को निरंतर चलने वाली सामान्य प्रक्रिया के स्थान पर इवेंट के रूप में आयोजित करने से बचना चाहिए जितने बड़े पैमाने पर भर्ती प्रक्रिया होगी उतना ही गड़बड़ी की आशंका रहेगी।

सभी राजनीतिक दल और विभिन्न सामाजिक संगठन जाति के आधार पर आरक्षण के लिए पक्ष-विपक्ष आपस में टकराते हैं पर सरकारी नौकरियों के लिए भर्ती प्रक्रिया में चल रही धांधली पर कोई भी आवाज़ नहीं उठाता। यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि विगत कुछ वर्षों में चाहे कोई भी दल सत्ता में हो सरकारी नौकरियों में चयन प्रक्रिया निष्पक्ष और संदेह से परे नहीं रही है। इन परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर साल्वरों का पकडा जाना इसका प्रमाण है यदि हम सरकारी नौकरी मिलने को पूर्व की भांति योग्यता और मेहनत का परिणाम स्थापित करना चाहते हैं तो हमें इस समस्या का समाधान करना होगा।

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