शनिवार, 6 मई 2017

पाकिस्तान को उसकी भाषा में माकूल जवाब देना अपरिहार्य

 

अवधेश कुमार

पहले यह खबर आई थी कि दो भारतीय जवानों को शहीद कर उनके शव को क्षत-विक्षत करने का प्रतिशोध भारतीय जवानों ने ले लिया है। इसके अनुसार हमारी सेना ने कृष्णा घाटी सेक्टर की कृपाण पोस्ट के उस पार पाकिस्तानी सेना की पिंपल पोस्ट को पूरी तरह से तबाह कर डाला। इस कार्रवाई में 647 मुजाहिद यूनिट के 10 से ज्यादा जवानों के मारे की सूचना थी। ध्यान रखिए 1 मई को पाक सेना ने इसी पिंपल पोस्ट से गोलाबारी की थी और इसी दौरान पाक की बार्डर एक्शन टीम (बैट) ने भारतीय क्षेत्र में घुसकर शहीद जवानों के शवों के साथ बर्बरता की थी। हालांकि इस खबर की पुष्टि कहीं से नहीं हुई। भारत के कुछ समाचार पत्रों तथा वेबसाइटों के अलावा यह खबर कहीं नहीं थी। न सेना ने इसे स्वीकार किया और न सरकार ने ही। पाकिस्तान की मीडिया में भी इसकी कोई चर्चा नहीं है। इसलिए हम नहीं कह सकते कि यह खबर कितना सच है। लेकिन अगर यह सच भी हो तो क्या इसे पाकिस्तान को दिया गया माकूल जवाब मान लिया जाए? भारतीय जवानों के शवों के साथ बर्बरता के बाद पूरे देश में आक्रोश की लहर है तथा सरकार पर कुछ न कुछ करने का दबाव है। रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि इसकी जो प्रतिक्रिया करनी पड़ेगी वे करेंगे। हमारे दो सैनिकों का जो बलिदान है, वह व्यर्थ नहीं जाएगा। वास्तव में जिस तरह से पाकिस्तान हर कुछ अंतराल पर ऐसी हरकतें कर रहा है उसके बारे में गंभीरता से विचार करने तथा उसका माकूल जवाब दिए जाने की आवश्यकता है।

आखिर जिस तरह की घटना को पाकिस्तान ने अंजाम दिया वैसा युद्ध काल में भी नहीं होता और यहां तो युद्ध विराम का काल है। पाकिस्तान की एफडीएल पोस्ट पिंपल से 647 मुजाहिद बटालियन ने नियंत्रण रेखा से सटी सीमा सुरक्षा बल या बीएसएफ की अग्रिम पोस्ट पर गोलीबारी कर तड़के संघर्षविराम का उल्लंघन किया था। बीएसएफ पोस्टों पर राकेट भी दागे गए। उस समय भारतीय सेना व सीमा सुरक्षा बल के जवान खुफिया जानकारी के आधार पर वहां बारूदी सुरंग खोज रहे थे। अचानक हुए हमले में बीएसएफ की 200 बटालियन के हेड कांस्टेबल प्रेम सागर व सेना की 22 सिख यूनिट के नायब सूबेदार परमजीत शहीद हो गए तथा बीएसएफ का कांस्टेबल राजेंद्र कुमार घायल हो गया। इसी दौरान पाकिस्तान की बार्डर एक्शन टीम (बैट) भारतीय सीमा में लगभग एक किलोमीटर तक दाखिल हो गई एवं दोनों भारतीय जवानों के शवों को क्षत-विक्षत करने के बाद उनके अंग भी काटकर अपने साथ ले गई। बैट टीम ने सबसे अधिक बर्बरता नायब सूबेदार परमजीत सिंह के पार्थिव शरीर के साथ किया। पाकिस्तान की बैट सेना और आतंकवादी दोनों का सम्मिलित टीम माना जाता है। ध्यान रखिए बैट की टीम ने हमारी सीमा में घुसकर ऐसा किया। यह सामान्य बात नहीं है।

किंतु ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। 1999 में करगिल युद्ध के दौरान कैप्टन सौरभ कालिया से लेकर वर्तमान घटना तक पाकिस्तान की बर्बरता और पाशविकता का लंबा इतिहास है। 22 नवंबर 2016 को माछिल सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान के साथ मुठभेड़ में 3 जवान शहीद हुए थे। इनमें राइफलमैन प्रभु सिंह का सिर पाक सैनिकों ने काटा और उनके शरीर को क्षत-विक्षत कर दिया। यह हरकत भी बॉर्डर ऐक्शन टीम की ही थी। पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने 28 अक्टूबर 2016 को भारतीय सेना के शहीद जवान मंदीप सिंह के शव को क्षत-विक्षत कर दिया। नियंत्रण रेखा के पास कुपवाड़ा के माछिल सेक्टर में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान मंदीप सिंह शहीद हो गए थे। मुठभेड़ के दौरान पाकिस्तानी सेना गोलीबारी करके आतंकवादियों को कवर देती रही, और इस दौरान एक आतंकवादी ने शव को क्षत-विक्षत कर दिया। इस बर्बरता के पीछे भी बॉर्डर ऐक्शन टीम का हाथ माना गया। बैट दस्ते ने ही 8 जनवरी 2013 को हमारे जवान हेमराज सिंह व सुधाकर सिंह की हत्या की थी। हेमराज का सिर काट ले गए थे और सुधाकर के शव के अंग भंग किए गए थे। पिछले साल जनवरी में यूट्यूब पर एक विडियो भी अपलोड किया गया था, जिसमें कुछ आतंकवादी शहीद हेमराज के कटे सिर के साथ जश्न मनाते हुए दिख रहे थे। इसके बाद जुलाई में सेना ने जम्मू-कश्मीर में हुई एक मुठभेड़ में जवान हेमराज का सिर कलम करने वाले आतंकवादियों में शामिल मोहम्मद अनवर को मार गिराया था। 30 जुलाई 2011 को पाकिस्तान की ओर से कुपवाड़ा के गुगालदार चोटी पर किए गए हमले में राजपूत और कुमाऊं रेजिमेंट के 6 जवान शहीद हुए थे। पाक सौनिक 20 कुमाऊं के हवलदार जयपाल सिंह अधिकारी और लांस नायक देवेंदर सिंह का सिर अपने साथ ले गया था। इसका बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन जिंजर को अंजाम दिया। इस हमले में कुल 8 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे। जून 2008 में 2/8 गोरखा राइफल का एक जवान अपना रास्ता भूल गया था। इस जवान को पाकिस्तानी बॉर्डर ऐक्शन टीम ने केल सेक्टर में पकड़ लिया था। कुछ दिन बाद शहीद जवान का शरीर बिना सिर के मिला था। इसके बाद एक जवाबी हमले पाकिस्तान के कुल 8 जवान मारे गए। करगिल में घुसपैठ के दौरान 5 मई 1999 को कैप्टन सौरभ कालिया और उनके 5 साथियों को पाकिस्तानी फौजियों ने बंदी बना लिया था। जब 20 दिन बाद इन जवानों के शव सीमा पार से वापस आए तब पाकिस्तानी फौजियों की बर्बरता की कहानी सामने आई। इन जवानों के साथ क्रूरता की सारी हदें पार की गई थीं। उनके कानों में लोहे की सुलगती छड़ें तक घुसेड़ी गई थीं।

तो पाकिस्तान ऐसी घृणित हरकत करता रहता है। हालांकि हमने यह भी देखा कि हमारी सेना ने ज्यादा घटनाओं का बदला भी लिया है। किंतु इससे आगे क्या? क्या भारत की भूमिका जवाबी कार्रवाई तक सीमित रहेगी? क्रूरता और बर्बरता का यह दुस्साहसी सिलसिला अंतहीन चलता रहेगा? पाकिस्तान जो हरकतें करता है ऐसी हरकतों को सेना की दुनिया में गंदी नजर से देखा जाता है। मजे की बात कि हर बार वह इससे इन्कार भी करता है। इस बार भी उसने इन्कार किया है। भारत के आरोप को उसने झूठा करार दिया है। पाकिस्तान हर अपने कुकर्म को नकारने वाला देश है। जब भी उसकी ओर से आतंकवादी हरकत होती है, उसकी सेना युद्ध विराम का उल्लंघन करती है, या उसका आतंकवादी पकड़ा जाता है वह सीधे नकारता है। यह बात अलग है कि बाद में सब सच साबित होता है। इसलिए उसके नकारने से हमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। सवाल है कि ऐसा क्या किया जाए जिससे पाकिस्तान भविष्य में ऐसी हरकत करने का दुस्साहस न करे? ऐसा माना जाता है कि इस समय भारत का दबाव कई कारणों से पाकिस्तान पर बढ़़ा है और इसलिए वह ज्यादा आक्रामकता दिखा रहा है। यह भी संभव है कि वहां की नागरिक सरकार का सेना पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं रह गया हो। हाल के दिनों में जिस तरह उसने युद्ध विराम का उल्लंघन किया है उसका अर्थ क्या हो सकता है? क्या वह एक पूर्ण युद्ध भारत से चाहता है?

यह भी ध्यान रखने की बात है कि घटना के एक दिन पहले ही पाक सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा ने सीमा क्षेत्र का दौरा किया था। उन्होंने कश्मीरियों के संघर्ष से समर्थन तो जताया ही था यह भी कहा था कि भारत लगातार युद्ध विराम का उल्लंघन कर रहा है तथा आपको उसे मुंहतोड़ जवाब देना है। उसके बाद यह कार्रर्वाई हो गई। वैसे तो हमारे पास कार्रवाई के कई विकल्प हैं। जवाबी हमला करके उनको क्षति पहुंचा दी। ऐसा जारी रखा जा सकता है। नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान जहां कमजोर है वहा ंउसे ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जाए। तोपांे से गोलाबारी लगातार की जाए। आप देखेंगे कि इसका असर होगा। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में निश्चित लक्ष्य पर सीमित हवाई कार्रवाई का विकल्प भी हमारे सामने है। फिर से सर्जिकल स्ट्राइक किया जाए और उसका सबूत भी सामने रख दिया जाए। इस तरह कई विकल्प हमारे पास हैं। कुल मिलाकर कहने का तात्पर्य यह कि निश्चित रुप से अब वह समय आ गया है जब भारत पाकिस्तान की सेना को उस भाषा में जवाब दे जो भाषा वह समझता है। उससे जो क्षति हो उसे उठाने और सहने के लिए देश तैयार है। इसमें दुनिया क्या कहती है और करती है उससे हमें प्रभावित नहीं होना है। यह हमारे देश की रक्षा तथा एकता अखंडता को बचाने का प्रश्न है। लक्ष्य एक ही हो कि पाकिस्तान फिर आगे ऐसी हरकत कभी न कर सके।

अवधेश कुमार, ई.ः30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः 110092, दूर.ः01122483408, 09811027208

 

 

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