शुक्रवार, 2 सितंबर 2016

प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात की पहली रैली, मोदी ने लोगों का विश्वास जीतने का किया प्रयास

 

अवधेश कुमार

प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की गुजरात की यह पहली रैली थी। जाहिर है, उसकी ओर देश भर का ध्यान जाना आवश्यक था। वैसे भी इस बीच पाटीदार आरक्षण आंदोलन तथा दलितों की पिटाई के विरोध में हंगामा के कारण गुजरात देश की सुर्खियों में रहा है। तो लोग यह जानना चाहते थे कि आखिर मोदी इस पर क्या बोलते हैं। हालांकि सरकारी कार्यक्रम होने के कारण यहां ज्यादा राजनीतिक बातचीत की गुंजाइश नहीं थी, फिर भी जिस जल परियोजना का मोदी ने लोकार्पण किया उसमें पूर्व सरकारों की आलोचना तथा अपनी उपलब्धियों को बताने की स्वाभाविक ही गुंजाइश थी। दरअसल, नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के उपर से समुद्र में बह जाने वाले जल के उपयोग को ध्यान में रखकर सौराष्ट्र नर्मदा अवतरण सिंचाई योजना (सौनी योजना) बनी थी जो मोदी के खुद के दिमाग की उपज  थी। सौराष्ट्र क्षेत्र का जल संकट समाप्त करने के उद्देश्य वाली इसी महत्वाकांक्षी परियोजना के पहले चरण का मोदी ने लोकार्पण किया। इस योजना के अंदर सौराष्ट्र के 11 जिलों के 115 छोटे बडे बांधों के जलाशयों को सरदार सरोवर बांध के अतिरिक्त जल से भरा जाना है। मोदी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में वर्ष 2012 में करीब 1200 करोड़ वाली इस योजना का शिलान्यास किया था। इसके पहले चरण के तहत 10 जलाशयों को भरा जाना है। 5,000 गांवों को इससे पेजयल उपलब्ध होगा और करीब 10 लाख एकड़ भूमि की सिंचाई हो सकेगी। चार चरणों वाली यह योजना वर्ष 2019 तक पूरी तरह कार्यान्वित हो जाने की संभावना है। पानी की कमी वाले सौराष्ट्र के लिए इस योजना के महत्व को बताने की आवश्यकता भी नहीं है। इससे सैराष्ट््र जल संकट से उबर पाएगा।

जाहिर है, यह मोदी की निजी उपलब्धि है। हम जानते हैं कि सौराष्ट्र का क्षेत्र पटेलों का गढ़ है। पाटीदार आंदोलन के कारण आम धारणा यह बनी है कि पटेलों का बड़ा वर्ग भाजपा से नाराज चल रहा है। ऐसे क्षेत्र में योजना के पहले चरण का लोकार्पण तथा प्रधानमंत्री बनने के बाद जनता को संबोधन करने का पहला मौका। इसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करना स्वाभाविक है। वैसे भी कांग्रेस ने कार्यक्रम की आलोचना करके इसे राजनीतिक मोड़ दे दिया था। कांग्रेस ने कहा था कि इस समय सौनी योजना का उद्घाटन भाजपा से नाराज मतदाताओं को लुभाने का प्रयास है जो सफल नहीं होगा। तो प्रधानमंत्री ने अपने तरीके से इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा कि टुकड़े फेंकने से चुनाव तो जीते जा सकते हैं पर देश नहीं चलाया जा सकता। मोदी ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए उनकी सरकार टुकड़े फेंकने में विश्वास नहीं करती। उन्होंने कहा कि हमने इस परियोजना के लिए 15 साल तक कठिन परिश्रम किया है ताकि विकास और बदलाव लाया जा सके। यह योजना किसानों के लिए सोना पकाने वाली साबित होगी। देश अगर सौनी योजना की गंभीरता को समझे तो यह गौरवपूर्ण घटना होगी।

दरअसल, मोदी सौराष्ट्र और पूरे गुजरात के लोगों को यह समझाना चाहते थे कि उन्होंने उनके कल्याण के लिए किस तरह काम किया और आज उसका परिणाम सामने है जबकि कांग्रेस ने ऐसा करने की कभी सोचा भी नहीं। मसलन, उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद गुजरात की समस्याओं को गहराई से समझने और उसे दूर करने के लिए काम करना आरंभ किया। इसके लिए पूरे धैर्य के साथ लोगों को भी समझाने की पूरी कोशिश की। उदाहरण के लिए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद तीन साल किसानों को यह समझाने में बीत गए कि उनके लिए पानी सबसे महत्वपूर्ण है। लोगों को यह समझ में आया और धीरे-धीरे उनका सहयोग मिलने लगा। इसी का परिणाम है कि आज गुजरात में उन जगहों पर आसानी से पानी उपलब्ध है जहां पहले इसकी कल्पना तक नहीं थी। वैसे प्रधानमंत्री का यह कहना सही था कि सौराष्ट्र में पेयजल और सिंचाई का संकट था तो कच्छ में धूल के सिवा कुछ नजर नहीं आता था। आज कच्छ से 17 हजार टन केसर आम का निर्यात हो रहा है। सीमा की रक्षा करने वाले जवानों को पीने का पानी ऊंटों पर लाना पड़ता था, आज पाइपलाइन से उन्हें सीमा तक नहाने का पानी मिल रहा है। मोदी ने कहा कि ऊंचाई पर होने के कारण सौराष्ट्र कच्छ में पानी पहुंचाना कठिन था, लेकिन सरकार के संकल्प से आज मां नर्मदा गांव- गांव और घर-घर पहुंच गई हैं।

वैसे ऐसी योजना की कल्पना करना आसान नहीं था। जरा इस योजना को समझिए। बरसात के दिनों में नर्मदा जिले के केवडिया में बने सरदार सरोवर नर्मदा बांध के ओवरफ्लो के कारण काफी मात्रा में पानी समुद्र में बह जाता है। इस योजना के तहत समुद्र में बह जाने वाले इसी पानी के करीब एक तिहाई हिस्से को पाइपलाइन के जाल के जरिये वहां से चार से पांच सौ किमी दूर स्थित सौराष्ट्र के बांधों तक पहुंचाया जाना है। करीब तीन मीटर व्यास वाली पाइपलाइन के जरिये विभिन्न महत्वपूर्ण बांधों को आपस में जोड़ा जाएगा। इसका पहला लिंक 180 किमी, दूसरा 253, तीसरा 245 और चौथा 250 किमी लंबा होगा। इन बड़ी पाइपलाइन से छोटे व्यास वाले पाइप का जाल जुडे़गा, जो नर्मदा के अतरिक्त जल को वहां से अन्य छोटे जलाशयों तक पहुंचाएगा। देखना होगा कि मोदी द्वारा सौराष्ट्र को जल पहुंचाने की इस अपने किस्म की अकेली योजना का लोगों पर सकारात्मक असर होता है या नहीं। आखिर अगले वर्ष चुनाव है और तब तक हो सकता है इसका अगला एक चरण पूरा हो जाए। 

मोदी ने अपनी ओर से यही बताने का प्रयास किया कि वो जो कुछ हैं वह गुजरात के कारण तो है हीं, जो कर रहे हैं वह भी गुजरात से सीखकर ही। उन्होंने कहा कि गुजरात में जो सीखा उससे आज देश चलाने में मदद मिल रही है। यानी यह गुजरात ही है जिसने हमें अनेक समस्याओं से जूझने और उसे दूर करने का अनुभव दिया जो देश चलाने में काम आ रहा है। आज अगर दुनिया में भारत के विकास की चर्चा है और रेटिंग एजेंसियां भारत की बेहतर रेटिंग कर रही है तो इसी कारण कि हमने गुजरात के अनुभव से देश को बदलने के कदम उठाए हैं। जिस तरह गुजरात ने जल संरक्षण और एलईडी के जरिये लोगों का जीवन बदला उसे पूरे देश में अपनाकर हम सभी लोगों का जीवन बदलना चाहते हैं। मोदी लगातार देश में जल संरक्षण पर लोगों को जागृत करने की कोशिश करते हैं। एलईडी वल्ब के प्रयोग का विस्तार देशव्यापी किया गया है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का सूत्र भी हम गुजरात में देख सकते हैं। हालांकि मोदी के भाषण में अनेक बात वहीं थीं जो हम उनसे कई बार सुन चुके हैं। जैसे गरीबों को रसोई गैस देने वाली उज्जवला योजना, ओलिम्पिक में लड़कियों के अच्छे प्रदर्शन की चर्चा कर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना का जिक्र, नीम लेपित यूरिया के उत्पादन से इसकी कालाबाजारी रोकना....आदि। इन सबमें बिना नाम लिए भी कांग्रेस की आलोचना के तत्व निहित थे। कांग्रेस ने तो उज्जवला जैसी योजना नहीं चलाई। यूरिया की कालाबाजारी उनके काल में होती थी, क्योंकि उनको इसकी समझ नहीं आई। तो इस तरह जल योजना के लोकार्पण के माध्यम से मोदी ने अपनी राजनीति भी की तथा लोगों का दिल जीतने का प्रयास किया। उन्होेंने कहा कि गुजरात के लोगों ने हमारी बड़ी मदद की। इसका अर्थ हम यह भी लगा सकते हैं कि आपने पहले हमारी मदद गुजरात चलाने में की और अब देश चलाने में कीजिए। इसे हम अस्वाभाविक भी नहीं कह सकते। मोदी की जगह कोई नेता होता तो यही करता। लेकिन प्रश्न है कि क्या एक ओर पटेलों के एक वर्ग का गुस्सा, दलितों का उग्र उभार को जलाशयों का यह पानी और मोदी का भाषण शांत कर सकेगा?

अवधेश कुमार, ई.ः30,गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूर.ः01122483408, 09811027208

 

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