शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016

उम्मीदों के अनुरुप आधुनिक, तीव्र गति और जन सुविधाओं के संतुलन का बजट

 

अवधेश कुमार

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने बजट पेश करने के पूर्व कहा था कि बजट देश और रेल के हित में होगा। लोगों की बहुत सी उम्मीदें हैं और हम उस उम्मीद पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि आम आदमी के चेहरे पर खुशियां लाना हमारा उद्देश्य है। सुरेश प्रभु आधुनिकीकरण और सक्षमीकरण की भी बात करते रहे हैं। उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा कि प्रधानमंत्री का दर्शन रेलवे को विकास का ईंजन बनाने का है और हम उस पर काम कर रहे हैं। उनके अनुसार बजट का मुख्य उददेश्य रेल को आर्थिक वद्धि का ईंजन बनाना, रोजगार पैदा करना और उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधाएं देना है। बजट भाषण में उन्होंने तीन सूत्र दिए -यात्री की गरिमा, रेल की गति और देश की प्रगति। पूरे बजट भाषण का लुव्वोलुवाब यह था कि वर्तमान सरकार रेलवे को विश्वस्तरीय बनाने के साथ उसे आम आदमी की पहुंच, उसके अधिकतम और सुविधाजनक उपयोग के अनुरुप बनाए रखने को कृतसंकल्प है। एक ओर यदि सुरक्षा उन्नयन, विद्युतीकरण, यार्डो के दोहरीकरण एवं आधुनिकीकरण पर फोकस है तो मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया एवं स्वच्छ भारत अभियान का इसे उदाहरण भी बनाना है। हम समझ सकते हैं कि इन सबके बीच संतुलन बनाना आसान नहीं है। लेकिन प्रभु ने बजट भाषण में यह आत्मविश्वास दिखाया है कि ऐसा वे कर पाएंगे।

वास्तव में सुरेश प्रभु के वर्तमान एवं पिछले बजट भाषणों को एक साथ मिला दे ंतो यह रेलवे के सम्पूर्ण कायाकल्प या समग्र रुपांतरण का मिशन वक्तव्य दिखाई देगा। उन्होंने बजट भाषण के अंत में कहा भी कि हम सात मिशन आरंभ कर रहे हैं जिनके साथ अलग-अलग प्रभारी होंगे। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि ये चुनौतियों का समय और सबसे कठिन दौर है जिसका हम सामना कर रहे हैं। वास्तव में उनका इशारा विश्व स्तर पर आ रही मंदी तथा उसका भारत में पड़ने वाले असर से था। हालांकि बजट से वैसे सुधार समर्थक निराश होंगे जो यात्री भाड़ा में वृद्धि कर रेलवे की आय बढ़ाने तथा वित्तीय चुनौतियों का सामना करने की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन लोगों के लिए अपनी जेब पर भार न बढ़ना अवश्य राहत की बात है, क्योंकि आम धारणा थी कि किराया अवश्य बढ़ाया जाएगा। ध्यान रखिए कि पिछले वर्ष भी सुरेश प्रभु ने किराया नहीं बढ़ाया था। प्रभु ने अपने भाषण में ही कहा कि यात्रियों के किराये में सब्सिडी के चलते रेलवे को 30 हजार करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है। दरअसल, सुरेश प्रभु ने रेलवे के कायाकल्प के लिए राजस्व जुटाने का एप्रोच भी बदला है। उन्होंने कहा कि हम शुल्क राजस्व के अतिरिक्त राजस्व के नये स्रोतों का दोहन करेंगे। रेलवे की पुनर्संरचना में रेलवे बोर्ड के नए तरीके से ढांचागत परिवर्तन होगा जिसका चरित्र निवेश पाने का होगा और इसके लिए बोर्ड के अध्यक्ष की भूमिका में बदलाव होगा और उन्हें कुछ विशेष अधिकार भी दिया जाएग।

अगले पांच साल में रेलवे को नया रंग रूप देने के लिए 8.5 लाख करोड़ रुपए का निवेश करना होगा। अगले वर्ष 1 लाख 84 हजार 820 करोड़ राजस्व जुटाने का लक्ष्य है। बजट भाषण के अनुसार ऑपरेटिंग अनुपात 90 से बढा़कर 92 के उच्चतम स्तर पर लाया जाएगा। इससे रेलवे को 92 पैसे खर्च करने पर 1 रुपए की आय होगी। प्रश्न उठ रहा था कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की वजह से जो 32 हजार करोड़ रुपए का बोझ रेलवे पर बढ़ने वाला है उसके बारे में प्रभु क्या बोलते हैं। प्रभु ने कहा कि उन्होंने उसका ध्यान रखा है और रेलवे के विकास के साथ इसका भी समाजयोन हो जाएगा। भारतीय जीवन बीमा निगम  और जापान इंटरनेशनल एजेंसी (जाइका) से उन्होंने निवेश कराया है। इस वर्ष निगम 1.5 लाख करोड़ निवेश करेगा। वैसे प्रभु ने विदेशी निवेश का एलान पिछले साल ही कर दिया था। स्पीड ट्रेन सिस्टम, सबअर्बन कॉरिडोर्स जैसे कुछ सेक्टर में 100 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी मिल चुकी है। जापान, स्पेन, फ्रांस और चीन से समझौते हुए हैं। जापान मुंबई-अहमदाबाद रूट पर बुलेट ट्रेन चलाएगा। सरकार और निजी साझेदारी से विकास की बात कई बजट में हो रही है, लेकिन वह मूर्त रुप में नहीं ले रहा है। खासकर मजदूर संघों के दबाव के कारण सरकारें इस पर तेजी से काम करने से बचती हैं। देखना है प्रभु इसमें कितना सफल हो पाते हैं। रेलवे 17 राज्यों के साथ संयुक्त उद्यम पर बात कर रही है। महाराष्ट्र, ओडिशा, केरल, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत छह राज्यों ने संयुक्त उद्यम के लिए रेलवे के साथ समझौता कर लिया है। इसके तहत संयुक्त उद्यम में 51 प्रतिशत शेयर राज्यों का और 49 प्रतिशत शेयर केंद्र का होगा। प्रभु के अनुसार 124 सांसदों ने सांसद निधि से यात्री सुविधाओं के विकास में योगदान करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।गैर उत्पादक और लाभकारी निवेश को बंद करने की जो बात उनने की है वह महत्वपूर्ण है। बड़े पैमाने पर लंबित पड़े पुराने कार्यों को पूरा करने और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पूंजी व्यय की दर बढायी है। वित्त वर्ष 2016-17 के लिए निवेश 1.21 लाख करोड़ रुपए रहेगा। तो वित्तपोषण एवं वित्तीय चुनौतियों का सामना करने के लिए उन्हांेने कछ नए एप्रोच अपनाए हैं।

रेल बजट के मूल्यांकन में सबसे पहला स्थान यात्रिओं और आम आदमी से संबंधित पहलुओं का होता है। रेल मंत्री ने घोषणा किया है कि 2020 तक आम आदमी की सभी आकांक्षाओं को पूरा करेंगे। अनारक्षित यात्रियों के लिए दीनदयाल डिब्बों एवं अंत्योदय एक्सप्रेस की व्यवस्था की गई है। यह रेल गरीबों का सुपरफास्ट होगा। व्यस्तम रूटों पर डबल डेकर ट्रेन शुरू किया जाएगा। हमसफर, तेजस और उदय नाम से तीन नई ट्रेनें शुरू की जाएगी। 182 नया हेल्पलाइन नंबर मिला है, जिस पर फोन या एसएमएस करने से तुरंत सहायता मिले सकेगी। 2020 तक जब चाहें तब टिकट मिलने के लक्ष्य की घोषणाएं हुईं हैं। हर डिब्बे में बुजुर्गों को 50 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। गूगल की मदद से 400 स्टेशनों पर वाई-फाई स्टेशनों की सुविधा शुरू की जाएगी। रेलों की स्वच्छता लंबी कवायद के बाद भी समस्या बनी हुई है। बजट घोषणा के अनुसार यात्रियों की मांग पर तुरंत बोगिया साफ होंगी। प्रभु ने कहा कि रेलवे स्वच्छ रेल की ओर काम कर रहा है। सफाई के लिए क्लीन माई कोच सुविधा आरंभ किया जाएगा। एसएमएस से रेलों में सफाई आरंभ होगी। दिव्यांगों के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग को सुविधाजनक बनाया जाएगा तथा वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के लिए लोअर बर्थ का कोटा बढ़ाना भी स्वागतयोग्य है। रेलवे के आरक्षण कोटे में पहली बार महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। अब हेल्पलाइन नंबर 139 के जरिए टिकट को कैंसिल भी करवाया जा सकेगा। पहली बार मनोरंजन के लिए गाड़ियों में एफएम रेडियो की व्यवस्था की घोषणा है। इससे रेल मंत्री का यह कथन साकार होता है कि उपभोक्ता की जरूरत के मुताबिक ही काम होगा।

मोदी ने सत्ता में आने के पूर्व ही तीर्थ स्थानों के लिए विशेष रेलों और उन स्टेशनों को आकर्षक बनाने की बात की थी। पिछले बजट में भी इसकी घोषणा थी। इस बजट में  आस्था सर्किट ट्रेन चलाने की बात है जो महत्वपूर्ण तीर्थ स्थानों को जोड़ने का काम करेगी। तीर्थ स्थल अमृसर, नासिक, विशाखापट्नस, पुरी, वाराणसी, वास्को आदि इसमें शामिल होंगे। इससे यकीनन पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। कुछ रेलों में जरूरी दवाएं और बच्चों के लिए दूध भी मिल सकेगा। भोजन की गुणवत्ता को लेकर हमेशा शिकायत रहती है। आईआरसीटीसी को ई-कैटरिंग सेवा देखने की जिम्मेवारी दी गई है। इसके लिए किचन बेहतर किए जाएंगे। हर तत्काल काउंटर पर सीसीटीवी लगे होंगे। पैसेंजर ट्रेनांे की रफ्तार बढ़ाने की घोषणा इसलिए राहतकारी है, क्योंकि इन पर यात्रा करने वाले स्थानीय लोगों का समय जरुरत से ज्यादा जाया होता है। आम रेलों में भीड़ की चुनौती से निपटने के लिए 65 हजार नया बर्थ तैयार हुआ है। इनका नॉन एसी कम्पार्टमेंट में यूज किया जाएगा। 5300 किलोमीटर नई लाइन तैयार करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। रात्रिकालीन चलने वाली डबल डेकर उदय एक्सप्रेस ट्रेन को व्यस्त मार्गों पर चलाया जायेगा। इन ट्रेनों में सामान्य ट्रेनों से 40 प्रतिशत अधिक यात्री सफर कर सकते हैं। तीन सीधी और पूर्णतया वातानुकूलित हमसफर रेल गाड़ियां 130 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ्तार से चलेंगी। साथ ही कुछ चुनिंदा स्टेशनों पर पायलट आधार पर बार कोड वाले टिकट की शुरूआत होगी।

यात्रियोें की सुविधा के साथ सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण आयाम है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 20 प्रतिशत कम दुर्घटनाएं हुईं। प्रभु ने कहा कि हम इस हालत को और सुधारने की कोशिश कर रहे हैं और शून्य दुर्घटना तक पहुंचने का लक्ष्य है। तो क्या हैं कोशिश? इसके लिए जापान और साउथ कोरिया से मदद ली जा रही है। 311 स्टेशनों पर सीसीटीवी सुरक्षा कायम होगी। महिला सुरक्षा के लिए सवारी डिब्बों में मध्यम भाग को आरक्षित किया गया है। दुर्घटनाएं कम करने के लिए दुनिया के प्रमुख रेल संस्थानों, टेक्निकल रिसर्च इंस्टीट्यूट्स के साथ रिसर्च और विकास साझेदारी शुरू की गई है। रेलवे को शून्य दुर्घटना यानी दुर्घटना रहित बनाने का लक्ष्य रखा गया है। जीपीएस आधारित सिस्टम लगेगा।

रेलवे के विकास की दूरगामी योजनाओं के लिए राष्ट्रीय रेल योजना की शुरुआत की गई है। रेलवे के आधुनिकीकरण योजना में इस वित्तीय वर्ष में 1600 किलोमीटर रेलवे लाइन का विद्युतीकरण किया गया है। अगले साल तक इस क्षमता को बढ़ाकर 2,000 किलोमीटर किया जाएगा। वर्ष 2020 तक मानव रहित फाटक खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। 2 हजार स्टेशनों पर रेल डिस्प्ले नेटवर्क होगा। बजट में स्मार्ट सवारी डिब्बे को बनाने की योजना है। इसके अनुसार नए स्मार्ट कोच उपभोक्ता की जरूरत के मुताबिक होंगी। डिजिटल इंडिया मिशन के तहत इस साल ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम की शुरुआत की गई जिसमें एसएमएस, ई-मेल के जरिए अलर्ट जारी हो रहे हैं। उच्च भार वहन क्षमता वाले रेल इंजन का निर्माण हो रहा है, जिससे ट्रेनों की वहन क्षमता बढ़ेगी। मिशन रफ्तार के तहत मालगाड़ियों की रफ्तार औसतन बढ़ाई जाएगी। यह इसलिए आवश्यक है क्योंकि रेलवे में माल ढुलाई विलम्ब से पहुुंचने का पर्याय हो गया था जिसमें थोड़ा अंतर आया है लेकिन इसे पूरी तरह परिवर्तित करना होगा। यात्रियों की तरह माल भी तीव्र गति से पहुंचाए जाने आवश्यक है। चेन्नई में इंडिया का पहला ऑटो हब बनेगा। 400 रेलवे स्टेशनों को वाई-फाई युक्त बनाया जाएगा और इस साल 100 स्टेशनों पर यह सुविधा होगी। 400 स्टेशनों का सार्वजनिक निजी भागीदारी के जरिए आधुनिकीकरण किया जाने की योजना है। हालांकि सार्वजनिक निजी भागीदारी की बात लंबे समय से हो रही है पर इस दिशा में अब तक बहुत सफलता मिली नहीं है। तो देखना होगा प्रभु और मनोज सिन्हा की जोड़ी इसे कैसे पूरा कर पाती है। साथ ही वित्त वर्ष 2016-17 में रेलवे पूरी तरह से कागज मुक्त अनुबंध व्यवस्था को अपना लेगा। 17 हजार बायो टॉयलेट इस साल के अंत में लगेंगे। पहला बायो वैक्यूम टॉयलेट डिब्रूगढ़ राजधानी में लगेगा।

इस तरह उम्मीदांें के अनुरुप सुरेश प्रभु के इस बजट को आधुनिकीकरण, तीव्र गति पाने के साथ आर्थिक विकास में योगदान देने और जन सुविधाओं के संतुलन का बजट मानना होगा। हालांकि मूल समस्या योजनाओं के क्रियान्वयन रही है। घोषणाओं के क्रियान्वयन को लेकर संदेह हमेशा रहा है। इस बार बजट के साथ क्रियान्वयन रिपोर्ट डाला गया है। रेल मंत्री के अनुसार 192 घोषणाओं पर काम हुआ है। तो उम्मीद करनी चाहिए कि बजट की घोषणाओं को हम क्रियान्वित होते देखेंगे।

अवधेश कुमार, ई.ः30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूर.ः01122483408, 09811027208

 

 

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2016

अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को एफ 16 विमान देने का मतलब

 

अवधेश कुमार

अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने पाकिस्तान को आठ एफ-16 फाइटर जेट बेचने के सौद पर मुहर लगा दी है। 70 करोड़ डॉलर के इस सौदे के तहत पाकिस्तान को लॉकहीड मार्टिन ग्रुप के इन जहाजों के अलावा रडार और बाकी उपकरण भी मिलेंगे। ये जहाज हर तरह के मौसम में हमला कर सकते हैं। अमेरिका से दूसरे देशों को हथियार बेचने का काम देखने वाली पेंटागन की डिफेंस सिक्युरिटी को-ऑपरेशन एजेंसी ने इस डील को मंजूरीे दी है। एजेंसी ने कहा कि हम ये फाइटर जेट इसलिए दे रहे हैं, ताकि पाकिस्तान की खुद की हिफाजत करने की ताकत बढ़े। वह काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन्स यानी आतंकवाद विरोधी अभियान को भी मजबूती से अंजाम दे सके। अमेरिका का यह फैसला इसलिए ज्यादा ध्यान आकर्षित करता है क्योंकि रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों ही दलों के प्रभावशाली सांसदों के बढ़ते विरोध के बावजूद अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कांग्रेस को अधिसूचित किया है कि वह पाकिस्तान सरकार को एफ-16 ब्लॉक 52 विमान, उपकरण, प्रशिक्षण और साजोसामान से जुड़े सहयोग वाली विदेशी सैन्य बिक्री करने को मंजूरी दे रहा है।

जाहिर है, ओबामा प्रशासन का यह बहुत बड़ा फैसला है। हालांकि इससे पहले अप्रैल महीने में अमेरिकी विदेश विभाग ने एक अरब डॉलर की लागत वाले सैन्य हार्डवेयर और उपकरण पाकिस्तान को देने की स्वीकृति दी थी। लेकिन वहां के माहौल को देखते हुए ऐसा लग रहा था कि पाकिस्तान के साथ इस सौदे को अमेरिका शायद मंजूर न करे। सीनेट की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष सीनेटर बॉब कोर्कर ने ओबामा प्रशासन से पहले कहा था कि वे पाकिस्तान को जेट बेचने के लिए अमेरिकी फंड का इस्तेमाल नहीं होने देंगे। पाकिस्तान अगर विमान चाहता है तो वह खुद के बूते खरीदे। अमेरिका इस सौदे का 46 प्रतिशत व्यय नहीं उठाएगा। पाकिस्तान के पास 8 एफ-16 में से चार जहाज, रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम खरीदने लायक भी कोष नहीं हैं। सीनेटर कोर्कर ने अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन कैरी को पत्र लिखकर कहा था कि पाकिस्तान के रिश्ते हक्कानी नेटवर्क से हैं। इस वजह से पाकिस्तान को कोई हथियार नहीं बेचा जाना चाहिए। यही नहीं अमेरिकी सांसदों ने पिछले साल मांग की थी कि अमेरिका पाकिस्तान जैसे चुगलखोर और मुखबिरी करने वाले देश को हथियार न बेचे। सांसदों ने ये भी कहा कि पाकिस्तान लगातार आतंकियों का समर्थन कर रहा है, इसलिए उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। सांसद टेड पोए ने ओसामा बिन लादेन को एबटाबाद में मार गिराए जाने की घटना का जिक्र करते हए कहा था कि अगर उस वक्त अमेरिका ने पाकिस्तान को यह बताया होता कि वह लादेन पर कार्रवाई करने वाला है तो पाक ने यह बात लादेन तक पहुंचा दी होती। एक सांसद डाना रोहाब्राशर ने पाकिस्तान को धोखेबाज बताते हुए उसे बेनेडिक्ट अर्नाल्ड कहा था। बता दें कि 17वीं सदी में बेनेडिक्ट एक अमेरिकी जनरल था, जिसने अपनी ही फौज को धोखा देते हुए ब्रिटेन की मदद की थी। एड रायस ने कहा था कि अमेरिका सैन बर्नार्डिनो के हमले में शामिल तश्फीन मलिक के पाकिस्तान से रिश्तों पर किसी को शक नहीं हो सकता। वह पाकिस्तान के ही एक स्कूल में पढ़ी और उसने कट्टरपंथ को बढ़ावा दिया। पाकिस्तान का रिकॉर्ड खराब है। उसे हथियार न बेचे जाएं।

साफ है कि ओबामा प्रशासन ने इन सारे विरोधों को नजरअंदाज करके अलोकप्रियता का जोखिम उठाते हुए अगर फैसला किया है तो उसके कुछ कारण होंगे। तो क्या हो सकते हैं कारण? ध्यान रखिए इस सौदे से दो दिनों पहले ही अमेरिका ने पाकिस्तान को मोटी राशि की भी मदद दी है। इसके पक्ष में बोलते हुए विदेश मंत्री जौन कैरी ने कहा कि इससे पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने में मदद मिलेगी तथा भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाने में भूमिका निभाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इससे अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका को पाकिस्तान सहयोग कर सकेगा। इस तर्क से हम आप सहमत हों या न हों, अमेरिका का अपना मत है और इसी मत से लाख विरोध करते, कई बार न चाहते हुए भी अमेरिका पाकिस्तान को धन एवं हथियार मुहैया कराता है। पाकिस्तान को अमेरिका ने पिछले 14 साल में यानी जबसे आतंकवाद विरोध युद्ध आरंभ हुआ, 1820 अरब रुपए की मदद दी है।  आरोप है कि पाकिस्तान ने ज्यादातर मदद का इस्तेमाल भारत के खिलाफ ताकत बढ़ाने में और सरकारी खर्चे निकालने में किया। उदाहरण के लिए पिछले साल अमेरिका से मिले 50 करोड़ रुपए सरकार ने बिलों का भुगतान करने और विदेशी मेहमानों को तोहफे देने में खर्च कर दिए।  अमेरिका इन सूचनाओं को नजरअंदाज करता है।

एफ 16 देने संबंधी उसका तर्क देखिए। यह प्रस्तावित बिक्री दक्षिण एशिया में एक रणनीतिक सहयोगी की सुरक्षा में सुधार में मदद करके अमेरिकी विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के लक्ष्यों में अपना योगदान देती है। प्रश्न है कि अमेरिकी विदेश नीति का दक्षिण एशिया में लक्ष्य क्या है? अगर पाकिस्तान उसका रणनीतिक सहयोगी है तो भारत भी रणनीतिक सहयोगी है। ओबामा प्रशासन के इस फैसले के बाद भारत ने दिल्ली में मौजूद अमेरिकी राजदूत को तलब किया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान का रिकॉर्ड बताता है कि वह हथियार बेचे जाने लायक देश नहीं है। हम ओबामा प्रशासन के फैसले से निराश हैं। राजदूत को तलब करना सामान्य बात नहीं है। स्पष्ट है कि भारत ने अपनी नाखुशी प्रभावी तरीके से पहुंचा दी है। लेकिन पेंटागन ने बयान में कहा कि इससे क्षेत्र में सामान्य सैन्य संतुलन प्रभावित नहीं होगा। प्रस्तावित बिक्री मौजूदा और भविष्य के सुरक्षा से जुड़े खतरों से निपटने में पाकिस्तान की क्षमता में सुधार लाती है। इसके अनुसार ये अतिरिक्त एफ-16 विमान हर मौसम में, दिन-रात अभियान चलाने में मदद करेंगे, आत्म-रक्षा क्षमता प्रदान करेंगे और उग्रवाद रोधी एवं आतंकवाद रोधी अभियान चलाने की पाकिस्तान की क्षमता को बढ़ाएंगे। पाकिस्तान के पास हथियारों की कमी है ऐसा नहीं माना जा सकता। पाकिस्तान के पास अभी 70 से ज्यादा एफ-16 लड़ाकू जेट हैं। उसकी वायुसेना के पास फ्रांसीसी और चीनी मारक एयरक्राफ्ट्स भी हैं।

पाकिस्तान को आत्मरक्षा किससे चाहिए? क्या भारत से? चलिए इस प्रश्न के जवाब का इंतजार करें। इन एफ-16 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किए जाने से जुड़ी भारत की आशंकाओं के बारे में पूछे जाने पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, मुझे स्पष्ट तौर पर बता लेने दीजिए, किसी भी हथियार के हस्तांतरण से पहले हम क्षेत्रीय सुरक्षा और कुछ अन्य कारकों को ध्यान में रखते हैं। हमारा मानना है कि हमारी सुरक्षा मदद एक ज्यादा स्थायी और सुरक्षित क्षेत्र के लिए योगदान देती है। विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, अमेरिका क्षेत्र में अपने सुरक्षा सहयोग को किसी के लाभ और किसी के नुकसान के आधार पर नहीं देखता। पाकिस्तान, भारत और अफगानिस्तान के साथ हमारे सुरक्षा संबंध अलग-अलग हैं लेकिन हर संबंध अमेरिकी हित और क्षेत्रीय स्थिरता को आगे बढ़ाता है। अमेरिका की ओर से कहा गया है कि ये अभियान पाकिस्तानी क्षेत्र का इस्तेमाल आतंकवाद की शरणस्थली और अफगानिस्तान में उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले आधार के तौर पर किए जाने की आतंकियों की क्षमता को कम करते हैं। अधिकारी ने कहा कि ये अभियान पाकिस्तान और अमेरिका दोनों के राष्ट्र हित में हैं। इसके साथ-साथ यह पूरे क्षेत्र के हित में हैं। तो यह है अमेरिका का जवाब। इसे हम जिस रुप में लें। आखिर क्षेत्र में अमेरिकी हित क्या है? क्षेत्रीय स्थिरता की उसकी सोच क्या है?  आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने में वह कितना मदद करता है यह भी देखना होगा। यह उसका विश्लेषण है और हमें देखना होगा कि क्या वाकई नवाज शरीफ सरकार इतनी बदल गई है कि इसका इस्तेमाल वह पाकिस्तान में आतंकवाद के खात्मे एवं अफगानिस्तान मे आतकवाद विरोधी युद्व में करेगा। लेकिन अमेरिका कुछ भी कहे इससे भारत की चिंता तो बढ़ेगी जिसे उसने स्पष्ट कर दिया है। स्वयं अमेरिका ने कहा है कि पाकिस्तान द्वारा लगातार अपने नाभिकीय अस्त्रों में वृद्धि चिंता पैदा करता है। तो क्या अमेरिका ने उसके सामने कम से कम यह शर्त रखा है कि वह अपने नाभिकीय अस्त्रों में बढ़ोत्तरी न करे तथा उसकी पुख्ता सुरक्षा का प्रमाण दे? इसकी जानकारी उसे भारत को अवश्य देना चाहिए।

अवधेश कुमार, ई.ः30,गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूर.ः01122483408, 09811027208

 

 

 

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

मोदी बनाम राहुल

 

अवधेश कुमार

हमने देखा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किस तरह एक परिवार की बात कहकर सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी पर हमला किया तो जवाब में राहुल गांधी ने भी प्रतिहमला किया। नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हम तो गरीबों के लिए आम आदमी के लिए काम करना चाहते हैं लेकिन एक परिवार है जो कि संसद नहीं चलने दे रहा और इनसे संबंधित विधेयक पारित नहीं हो पा रहे हैं। राहुल गांधी ने तुरत इसका जवाब दिया कि नरेन्द्र मोदी जी को देश ने प्रधानमंत्री चुना है लेकिन उनको समझ नहीं आ रहा है कि काम करने के लिए चुना है बहाना बनाने के लिए नहीं। दूसरे शब्दों में कहें तो राहुल गांधी ने दो बातें कहीं। एक कि नरेन्द्र मोदी को काम करने नहीं आता या वे काम नहीं कर पाते तो हमको दोषी ठहराने का बहाना बनाते हैं। दो, उनको यह समझ नहीं या वे अभी तक नहीं समझ पाए हैं कि प्रधानमंत्री का क्या दायित्व है या क्या काम करना है। साफ है कि नरेन्द्र मोदी या भाजपा या उनके समर्थक राहुल के प्रतिजवाब से सहमत नहीं होंगे, किंतु कांग्रेस और उनके समर्थकों के लिए तो यह ब्रह्म वाक्य हो गया। कहने का तात्पर्य यह कि आने वाले दिनों में हमें मोदी बनाम राहुल का यह हमला और प्रतिहमला कई रुपों मे सुनाई देगा।

यह उसी तरह होगा जैसे राहुल गांधी ने नरेन्द्र मोदी की सरकार को सूटबूट की सरकार कहकर उपहास उड़ाया एवं यह शब्दावली कांग्रेस के लिए सरकार की आलोचना के लिए सूत्र वाक्य बन गया। दूसरी ओर यही बात भाजपा एवं उनके समर्थकों पर भी लागू होती है। यह लंबे समय बाद था जब मोदी ने सीधे परिवार पर हमला किया है। लोकसभा चुनाव के पूर्व वो उस परिवार को जितना निशाने पर लेते थे श्रोताओं और समर्थकों की तालियां और वाहवाही उन्हें उतनी ही मिलती थी। प्रधानमंत्री बनने के बाद उनने परिवार पर हमला लगभग बंद कर दिया था। चुनावी सभाओं में कांग्रेस पर हमला जरुर करते रहे हैं, संसद को न चलने देने को लेकर भी पार्टी को ही निशाना बनाते थे। जाहिर है, फिर से उन्होंने परिवार को निशाना बनाया है तो जाहिर है कि इसके पीछे कुछ रणनीतिक सोच होगी। तो क्या हो सकती है वो सोच? हम न भूलें कि असम में प्रधानमंत्री की जन सभा वास्तव में राजनीतिक सभा थी। असम में इस वर्ष चुनाव है और कांग्रेस तथा भाजपा दोनों इस समय सीधे-सीधे या गठबंधनों के साथ आमने-सामने होंगे। ऐसी स्थिति में पार्टी के नेता के नाते नरेन्द्र मोदी का कांग्रेस पर तीखा हमला करना स्वाभाविक था। वे वहां यह बता रहे थे कि हम ऐसे कई कानून बनाना चाहते हैं जिनसे उत्तर पूर्व का विकास हो सकता है। इसी में से एक है जल यातायात विधेयक। यदि यह पारित हो गया तो ब्रह्पुत्र में जन एवं सामानों का परिवहन आरंभ हो जाएगा जिससे केवल असम नहीं पूरे पूर्वोत्तर की अर्थव्यवस्था का चेहरा बदल सकता है, लेकिन कांग्रेस राज्य सभा में यह विधेयक पारित नहीं होने दे रही और इस तरह आपके विकास में बाधा पैदा कर रही है।

कांग्रेस का अपना जवाब हो सकता है। लेकिन भाजपा के लिए फिर से कांग्रेस के शीर्ष परिवार पर हमले का रास्ता खुल गया है। पिछले शीत सत्र में संविधान दिवस पर चर्चा में प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. भीमराव अम्बेदकर के बाद सबसे ज्यादा कांग्रेस के नेताओं का महिमामंडन किया। उस भाषण में एक बार भी डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी या अन्य उन नेताओं का नाम नहीं लिया जिनने संविधान बनाने, उसकी मर्यादा कायम रखने में भूमिका निभाई, पर वे कांग्रेस के साथ नहीं रहे। साफ लग रहा था कि मोदी कांग्रेस को मनाने और खुश करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा तो हुआ नहीं, उल्टे उनकी पार्टी को और समर्थकों को यह नागवार गुजरा। कई कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया थी कि मोदी जी ने तो एक प्रकार से सोनिया गांधी के सामने साष्टांग कर दिया है। वे कहते थे कि मोदी जी कुछ भी कर लें कांग्रेस, सोनिया और राहुल उन्हें न पचा पाए हैं न पचा पाएंगे। कुल मिलाकर बहुमत कार्यकर्ताओं की नजर में यह गलत रणनीति थी। संभव है यह भावना मोदी तक पहुंची हो कि ऐसे तेवर से कार्यकर्ता निराश हुए हैं और इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इसलिए वे पुराने तेवर पर वापस आ रहे हैं। वैसे भी चुनाव में कूदना है और सामने बिहार पराजय का दंश है तो अपनी पूरी बुद्धिकौशल प्रधानमंत्री को लगाना होगा। उनके जन समर्थन का मूलाधार कांग्रेस एवं विपक्ष पर उनकी प्रखर आक्रामकता रही है। जितना वे सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी पर हमला करते हैं उतने उनके कार्यकर्ता एवं समर्थक उत्साहित होते है। यह गुजरात से आरंभ हुआ और देशव्यापी चरित्र हो चुका है।

साफ है कि हमला एवं प्रति हमला का यह दौर आगे और तीखा होगा। चूंकि यह ऐसे समय आरंभ हुआ है जब संसद का बजट सत्र आहूत करने की घोषणा हुई। तो इसका शिकार संसद भी हो सकती है। संभव है पिछले दो सत्रों में प्रधानमंत्री को यह आभास हो गया हो कि संसद को बाधित करना कांग्रेस की सोची समझी रणनीति है और वह आगे भी इसे जारी रखेगी। वास्तव में मोदी का हमला या राहुल का प्रतिहमला नया नहीं है। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर हमले का एक भी अवसर नहीं छोड़ा है। चाहे संसद के अंदर हो या बाहर। यह भी सच है कि सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने बजट सत्र के बाद से अपना संसदीय आचरण बिल्कुल बदल लिया है। ऐसा लगता है जैसे कांग्रेस यह मानकर चल रही है कि संसद में हंगामा करके सरकार को काम करने में बाधा पैदा करने से उसे सुर्खियां मिलती हैं और यह उसके खोए हुए जनाधार की वापसी का आधार बन सकता है। आप ध्यान देंगे तो जिन मुद्दों का संसद से कोई लेना-देना नहीं, उन्हें भी उठाकर संसद को बाधित करने की कोशिश होती है। चंूंकि लोकसभा में सरकार का बहुमत है तथा कुछ पार्टियां कांग्रेस का साथ नहीं देती, इसलिए वहां यह ज्यादा बाधा पैदा नहीं कर पाती, लेकिन राज्य सभा में यह स्थिति नहीं है और वहां यह सरकार की गति पर पूरी तरह ब्रेक लगाने में सफल हो जाती है। जनसमर्थन बढ़ाने के लिए छटपटाते वामदलों जैसी कुछ पार्टियांे का साथ भी उसे मिल जाता है।

इस सोच के कारण कांग्रेस का रुख बिल्कुल कठोर है जिसमें नमनीयता की गुंजाइश अभी नहीं दिखती है। इस सोच से यह साबित होता है कि कांग्रेस सोच एवं रणनीति दोनों स्तरों पर दिशाभ्रम का शिकार है। सरकार को तथ्यों और तर्कों से संसद में बहस करके घेरना तथा जनता के बीच जाकर अपना जन समर्थन बढ़ाना श्रम साध्य, समय साध्य है। इसके लिए आपको जनता को प्रभावित करने वाली भाषा और शब्दावलियों में भाषण देने भी आना चाहिए। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व में इसका पूरा अभाव दिखता है। कांग्रेस भले इसे स्वीकार नहीं करे, पर सच यही है कि उसके अनावश्यक कठोर रुख के कारण ही पिछले दो सत्रों में राज्यसभा में कामकाज नहीं हो पाया, विधेयकों का पारित होना कठिन हो गया। यहां तक कि जीएसटी को भी सरकार पारित नहीं करा पाई, जबकि दूसरी कई विपक्षी पार्टियां इस पर सहमत हो गईं थी। इसे देश देख रहा है। हमारे देश मे ंचुनावों के परिणामों में कई बार तार्किकता का अभाव भी दिखता है, लेकिन अगर जनता के अंदर यह भाव पैदा हो गया या सरकार व भाजपा यह भाव पैदा करने में सफल हो गई कि कांग्रेस वाकई संसद में हंगामा करके उनके हित को बाधित कर रही है तो फिर उसे इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। कहने की आवश्यकता नहीं कि मोदी इसी रणनीति पर चल रहे हैं। कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करना है तो फिर उस परिवार को निशाना बनाओ। तो अगर दोनों ओर की सोच और रणनीति आपकी समझ में आ गया हो तो कल्पना करिए कि देश मेें फिर से मोदी बनाम सोनिया राहुल परिवार का हमला प्रतिहमला का यह दौर कब तक और कहा तक जाएगा!

अवधेश कुमार, ई.ः30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूर.ः01122483408, 09811027208

बुधवार, 10 फ़रवरी 2016

पानी में दस मीटर नीचे रहकर, सेटेलाइट कनेक्टिविटी से दुश्मन की घुसपैठ पर साध सकेंगे निशाना

 -पानी में दस मीटर नीचे रहकर, सेटेलाइट कनेक्टिविटी से दुश्मन की घुसपैठ पर साध सकेंगे निशाना

-पानी के नीचे रहकर दुश्मनों पर निगरानी वाला ड्रोन बनाया

मो. रियाज़

नई दिल्ली। देश का पहला वाटरप्रूफ ड्रोन तैयार हो गया है। इसके पेटेंट को लेकर मध्यप्रदेश के दतिया स्थित रानीपुरा गांव के भूपेंद्र राजपूत ने आवेदन किया है। भूपेंद्र के पिता किसान हैं, जो कर्ज लेकर उसे पढ़ा रहे हैं यह खुद दिल्ली पेटेंट आवेदन के लिए कई दिनों तक रैन-बसेरे में रहे क्योंकि उनकी जेब में इतना पैसा नहीं था कि वह किसी होटल में ठहर सकें।
भूपेन्द्र का कहना है, वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बहुत प्रभावित हैं। जिन्होंने मेक इन इंडिया का नारा देते हुए इनेवेटिव सोच को पंख लगाए हैं। उनके इस संदेश से प्ररेणा पाकर मैंने देश की सैन्य शक्ति को बढ़ाने के लिए वाटरप्रूफ ड्रोन तैयार किया है। इसकी लागत मात्र दो लाख है। इसमें हाई रेज्युलेशन कैमरा, सेटेलाइट रिमोट सिस्टम और स्प्रिंग फोर्स के जरिए ड्रोन की क्षमता को कई गुणा बढ़ाकर राॅकेट और मिसाइल दागने की गति को हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक बढ़ा सकते हैं। इसमें लगी विंग को अलग-अलग दिशा में खोलने की तकनीक है, जिससे किसी भी दिशा में समुद्र के नीचे पानी में तैरते वाटरप्रूफ ड्रोन से हवा और पानी में मिसाइल या राॅकेट दागकर घुसपैठ करने वाले जहाज व दुश्मन के ठिकाने पर हमला किया जा सकता है। भूपेंद्र ने दिल्ली स्थित द्वारका सेक्टर-14 में आईपीआई (इंटलेक्चुअल प्रोपर्टी इंडिया) पेटेंट विभाग में रजिस्ट्रेशन कराया है।

क्या है ड्रोन में खास--
अन्ना यूनिवर्सिटी के वल्लम तंजाबुर स्थित पीआर इंजीनियरिंग काॅलेज के इंजीनियरिंग के छात्र भूपेंद्र बताते हैं कि उन्होंने अपने ड्रोन का अविष्कार सेना को ध्यान में रखकर किया है। इस ड्रोन का वजन करीब 42 किलोग्राम का है। जो 230 सेंटीमीटर चैड़ा और 190 सेंटीमीटर लंबा है। ड्रोन पूरी तरह से कंप्यूटर आपरेटिंग प्रणाली पर आधारित है। लक्ष्य भेदने के लिए ड्रोन में लगा कैमरा, फोटो खींचकर, सेटेलाइट से सूचना देगा और वहां से आर्डर मिलते ही लक्ष्य भेदने के लिए मिसाइल, बम या राॅकेट को छोड़ा जा सकेगा। अगर जासूसी करने वाले देश के सेटेलाइट को खत्मा करना है तो स्प्रिंग फोर्स का सहारा लेकर यह लक्ष्य भी भेदा जा सकेगा।

ड्रोन टेक्नोलाॅजी--यह ड्रोन पूर्णता वाटर प्रूफ टेक्नोलाॅजी पर आधारित है। इसको वाटर प्रूफ बनाने के लिए टीन की चादर का उपयोग किया गया है तथा इसको पानी में ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर लाने में हाइड्रोलिक सिस्टम पर आधारित है। जिसमें 10 आर.पी.एम. की चार मोटर लगी हुई हैं जो ड्रोन को रिमोट सिस्टम के माध्यम से किसी भी स्थान पर पानी में ले जा सकती है, जोकि एक चैन पूलिंग सिस्टम प्रणाली पर आधारित है। इसको आगे बढ़ाने के लिए 300 आर.पी.एम. के 12 मोटर सहित एयरक्राफ्ट लगाई गई है जोकि ड्रोन के साथ 10 कि.ग्रा. वजन को आसानी से पानी में ले जा सकती। इसके अलावा ड्रोन में 12 वोल्ट का बैट्री बैकअप है जो ड्रोन को पानी में 4-5 घंटे तक लगातार चला सकता है।
 
इस ड्रोन का उपयोग हम इंडियन नेवी के लिए कई प्रकार से कर सकते हैं जैसे कि यह ड्रोन पानी के भीतर 5-10 कि.ग्रा. वजन को आसानी से ले जा सकता है। जिसमें हम छोटी-छोटी मिसाइल या बम का प्रयोग कर सकते हैं। इस ड्रोन का आकार 140 सेमी लम्बा तथा 170 सेमी चैड़ा है जिसका वजन 20 कि.ग्रा. है।
 
पानी में चलने वाला ड्रोन बनाने का दावा---
नई दिल्ली। आसमा से कह दो अगर देखनी है मेरी उड़ान तो अपना कद और ऊंचा कर ले। मध्यप्रदेश (एमपी) के एक युवक ने कुछ इसी प्रकार का कारनामा कर दिखाया है। एमपी के दतिया में रहने वाले भूपेन्द्र का दावा है कि उन्होंने पानी में चलने वाला एक ड्रोन बनाया है जो पानी के अंदर और बाहर दोनों प्रकार से सुरक्षा में उपयोग किया जा सकता है। आमतौर पर ड्रोन का नाम सुनते ही हवा में उड़ते तस्तरीनुमा कैमरे नजर आते हैं, लेकिन इस युवक ने पानी में चलने वाला ड्रोन बनाया है, जो मोबाइल और रिमोट से कंट्रोल होता है। भूपेन्द्र पीआरईसी इंजीनियरिंग कॉलेज में बी टेक की पढ़ाई कर रहा है। फिलहाल, इन दिनों वह दिल्ली आया हुआ है। युवक का दावा है कि अगर सरकार उसे कुछ उपकरण मुहैया करवा दे, तो वह इसे वास्तविक आकार दे सकता है। जो तीनों सेनाओं के लिए बेहद उपयोगी होगा। रानीपुरा नामक छोटे से गांव के रहने वाले एक नौजवान भूपेन्द्र ने 18 मोटरों से पानी में चलने वाला ड्रोन बनाया है, जिसे देखकर लोग दांतों तले उंगली दवा लेते हैं। यह ड्रोन रिमोट के साथ-साथ मोबाइल से भी कंट्रोल होता है और इसमें कैमरा लगाकर सैटेलाइट के माध्यम से पानी के अंदर और बाहर नजर रखी जा सकती है। इसके अलावा इसे जल, थल और नभ तीनों जगहों पर कंट्रोल भी किया जा सकता है। सेना के लिए उपयोगी ड्रोन के अविष्कारक भूपेन्द्र का कहना है कि इसमें करीब 1000 हजार मोटर और अन्य सामान लगने के बाद यह ड्रोन वास्तविक धरातल पर आ जाएगा।
बड़े रूप में लाने के बाद यह ड्रोन देश की तीनों सेनाओं के लिए उपयोगी हो जाएगा, लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह इसको बड़ा रूप देने विदेशों से जरूरी उपकरण मंगा सके। पिता नारायण दासा पेशे से किसान हैं। नौजवान ने मदद के लिए सरकार से गुहार भी लगाई है। खास बात यह है कि ड्रोन में लगे कैमरे 180 डिग्री तक घूम सकते हैं।
-कैमरों की रेंज 400 मीटर -वजन 20 किलो ग्राम -चैड़ाई 190 सेमी. -लम्बाई 140 सेमी.

रविवार, 7 फ़रवरी 2016

हिन्दुओं की भावनाओं से खिलवाड़ सहन नहीं होगा: आचार्य रमेश मिश्र

संवाददाता

नई दिल्ली। आजकल देश मेें हिन्दुओंं के देवी देवताओं का अपमान करने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इसको अब सहन नहीं किया जाएगा। आज देश में हिन्दुओं को कमजोर समझ कर हर कोई हिन्दुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करने का प्रयास कर है। इसे अब सहन नहीं किया जाएगा। ये घोषणा अखिल भारत हिन्दू महासभा के तदर्थ अध्यक्ष आचार्य रमेश मिश्र ने जंतर मंतर पर हिन्दू महासभा द्वारा आयोजित प्रदर्शन को संबोधित करते हुए की ।

उन्होंने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को बर्खास्त करने की मांग करते हुए कहा कि यह सरकार मालदा और पूर्णिया में दंगों को रोकने में असफल रही है। इस कारण बंगाल में हिन्दू अपने आप को असुरक्षित अनुभव कर रहा है। इसलिए ममता सरकार को तुरंत बखास्त किया जाना चाहिए। इससे पूर्व भी ममता एक बार  गौ मांस खाने की वकालत कर चुकी है। ऐसी हिन्दू विरोधी सरकार को सहन नहीं किया जाएगा।

अखिल भारत हिन्दू महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष बाबा नन्द किशोर मिश्र ने कहा कि मोदी सरकार को तुरंत प्रभावी कदम उठाते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाना चाहिए। जिससे की भव्य राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो। महामंत्री आचार्य मदन सिंह ने कहा कि हिन्दू अपने हित की रक्षा के लिए हर तरह का संघर्ष करने के लिए तैयार है। धरना संयोजक स्वामी कृपा विश्वास ने कहा कि  कोई भगवान विष्णु का रूप धारण कर रहा है, सलमान खान और शाहरूख खान काली माता के मंदिर में जूते पहन कर नाटकों में आ रहे  है। राम रहिम द्वारा भगवान विष्णु का रूप धारण करने  की मुद्रा में फोटो खिचवाना हिन्दू धर्म का अपमान है।

हिन्दू महासभा इसका कड़ा विरोध करती हे। अब इस तरह की गतिविधियाँ सहन नहीं होगी। उन्होने कहा कि इस कदम से हिन्दुओं की भावनाओं को ठैस पहुची है। भगवान विष्णु हिन्दुओं के परम आराध्य देव है। उनकी नकल करते हुए हाथ में शंख लेकर फोंटो खिचवाना सरासर गलत है। जिस व्यक्ति पर हत्या, साधुओं को नपुंसक बनाने जैसे गंभीर आरोपो के मुकदमे चल रहे हो, उसे भगवान विष्णु का रूप धारण करने का कोई अधिकार नही है। हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता रामनाथ लूथरा ने कहा कि पश्श्चिम बंगाल में ममता सरकार को तुरंत बर्खास्त किया जाए, ममता सरकार ने मालदा और पूर्णिया में मुसलमानों द्वारा किए गए दंगों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए। बंगाल में हिन्दू डर के  साए में जी रहे है। 

देश में हिन्दुओं की भावनाओं से खिलवाड़ अब सहन नहीं होगा। हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता स्वामी ओम महाराज ने कहा कि कोई भी हिन्दुओं को कमजोर समझने की भूल न करे। हिन्दू अपने हितों की रक्षा के लिए हर तरह का बलिदान देने के लिए तैयार है। इस अवसर पर रविन्द्र द्विवेदी,संतोष राय,रविन्द्र भाटी,मंडन मिश्र, सुशील शर्मा, मदन गुर्जर, रामौतार शर्मा,जसबीर, रामचन्द्र तिवारी, रत्न भारद्वाज, पवन कुमार, विकास वशिष्ठ, मुकेश गुप्ता, प्रेम रापडिय़ाँ आदि उपस्थित थे।

शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

हिन्दू महासभा का प्रदर्शन 7 फरवरी को जंतर मंतर दिल्ली में

संवाददाता 

नई दिल्ली। अखिल भारत हिन्दू महासभा द्वारा 7 फरवरी को दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया जाएगा। जिसमें जिले से भी काफी संख्या में हिन्दूमहासभा कार्यकर्ता भाग लेगे। यह जानकारी देते हुए अखिल भारत  हिन्दू महासभा प्रवक्ता राकेश  आर्य  ने बताया कि इस प्रदर्शन का नेतृत्व अखिल भारत हिन्दू महासभा के तदर्थ अध्यक्ष आचार्य रमेश मिश्र करेगे। इसमें कार्यकारी अध्यक्ष बाबा नन्द किशोर ,महामंत्री आचार्य मदन सिंह,राकेश आर्य,रामनाथ लूथरा ,स्वामी कृपाविश्वास आदि नेता नेता भाग लेगे। प्रदर्शन के पश्चात गृहमंत्री राजनाथा सिंह को ज्ञापन भी दिया जाएगा। उन्होने कहा कि आज देश में हिन्दुओं को कमजोर समझ कर हर कोई हिन्दुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करने का प्रयास कर है। कोई भगवान विष्णु का रूप धारण कर रहा है, सलमान खान और शाहरूख खान काली माता के मंदिर में जूते पहन कर नाटकों में आ रहे  है। राम रहीम द्वारा भगवान विष्णु का रूप धारण करने  की मुद्रा में फोटो खिचवाना हिन्दू धर्म का अपमान है। हिन्दू महासभा इसका कड़ा विरोध करती हे। अब इस तरह की गतिविधियाँ सहन नहीं होगी ।

उन्होंने कहा कि इस कदम से हिन्दुओं की  भावनाओं को ठैस पहुची है। भगवान विष्णु हिन्दुओं के परम आराध्य देव है। उनकी नकल करते हुए हाथ में शंख लेकर फोंटो खिचवाना सरासर गलत है। जिस व्यक्ति पर हत्या, साधुओं को नपुंसक बनाने जैसे गंभीर आरोपो के मुकदमे चल रहे हो ,उसे भगवान विष्णु का रूप धारण करने का कोई अधिकार नही है। उन्होने कहा कि  पश्श्चिम बंगाल में ममता सरकार को तुरंत बर्खास्त किया जाए ,ममता सरकार ने मालदा और पूर्णिया में मुसलमानों द्वारा किए गए दंगों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए। बंगाल में हिन्दू डर के  साए में जी रहे है। देश में हिन्दुओं की भावनाओं से खिलवाड़ अब सहन नहीं होगा।  




गुरुवार, 4 फ़रवरी 2016

दिल्ली पुलिस द्वारा छात्रों की पिटाई का सच क्या है

 

अवधेश कुमार

इस समय दिल्ली पुलिस द्वारा छात्रों की पिटाई का एक ऐसा वीडिये चल रहा है जिसे देखकर पहली नजर में किसी को भी गुस्सा आ जागएा। इसके विरोध में आइसा नामक छात्र संगठन ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया है। इसके साथ गैर भाजपा राजनीतिक दलों में से ज्यादातर ने दोषी पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। कुछ ने तो इससे आगे बढ़कर यह कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी पुलिस से छात्रों को पिटवा रहे हैं। यह भारतीय राजनीति है जिसमें हम किसी तरह के गैर जिम्मेवार बयान की उम्मीद कर सकते हैं। मैं चूंकि स्वयं अनेक प्रदर्शनों, धरनों, संघर्षों, आंदोलनों से जुड़ा हूं इसलिए यह कतई सहन नहीं कर सकता कि पुलिस प्रदर्शन करने वालों को पीटे। पुलिस की ऐसी भूमिका का मैं हमेशा विरोधी रहा हूं। दिल्ली में इस राष्ट्रीय स्वयंसेवक के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे वामपंथी छात्र संगठन के कुछ छात्रों को पुलिस द्वारा पीटते हुए जो वीडियो दिखाया गया है उसे देखकर ऐसा लगता है कि वाकई पुलिस बर्बरता पर उतर आई है। लेकिन क्या यही सम्पूर्ण या एकमात्र सच है?

वास्तव में इसका दूसरा पहलू ऐसा है जिसे समझे बगैर आप किसी निष्कर्ष पर नहीं पहंुच सकते। यह सामान्य नियम है कि आ यदि कोई धरना या प्रदर्शन करते हैं तो पहले पुलिस से अनुमति लेते हैं। इसके पक्ष विपक्ष में तर्क दिया जा सकता है कि अगर हमें किसी घटना, संगठन का विरोध करना है तो हम विरोध के लिए अनुमति क्यों लें। पर यह एक सामान्य नियम है। इसके नकारात्मक पक्ष हैं किंतु इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि इसके बाद हमारी सुरक्षा के लिए और हमारा प्रदर्शन ठीक से संपन्न हो जाए यह जिम्मेवारी पुलिस की हो जाती है। यही नही ंहम यदि अपनी बात लिखित में कहीं देना चाहते हैं तो यह भी उसकी जिम्मेवारी है कि हमारे प्रतिनिधिमंडल को ले जाकर उसे सही जगह पहुंचवाए। वह हमारा विरोध हो सकता, मांग हो सकती या अपील भी हो सकती है। प्रश्न है कि क्या छात्र संगठन ने दिल्ली पुलिस से अनुमति ली थी? नहीं ली थी। वे अनुमति के लिए गए थे। दिल्ली पुलिस ने उनसे कहा था कि आप जंतर मंतर पर प्रदर्शन करें। वहां हम आपकी पूरी सुरक्षा की व्यवस्था करेंगे। वहां से आपकी शिकायत सरकार तक पहुंचाई जाएगी। इनने दिल्ली पुलिस की बात नहीं मानी और पहुंच गए संघ कार्यालय पर। क्यों गए वहां? सबसे पहले तो वहां जाना ही गलत था।

लेकिन इसे कुछ समय के लिए यहीं छोड़ दे ंतो जो वीडियो चलाया जा रहा है उसके समानांतर भी एक वीडियो है जिसमें कुछ लड़कियां पुलिस को कई तरीके से उकसा रही हैं। वो प्रधानमंत्री मोदी के लिए अपशब्दों का प्रयोग कर रहीं है। एक ताली बजाकर कह रहीं हैं बनाओ वीडियो और मोदी को भेजो। इनने ऐसी स्थिति पैदा की जिनमें पुलिस वाले भी गुस्से में आ गए। लेकिन पुलिस ने अगर ऐसी ही बर्बरता की जैसी 30 सेकेंड के वीडिया में दिख रहा है तो जिनकी पिटाई हुई वो कहां हैं? बर्बरता का अर्थ है कि कुछ छात्र-छात्राएं घायल होकर अस्पताल में भर्ती होते या किसी की प्राथमिक चिकित्सा भी हुई होती। इसके कोई प्रमाण नहीं है। इसका अर्थ है कि दो चार की पिटाई तो हो गई, किंतु इतनी बर्बरता नहंी थी कि कुछ लोगों को गहरी चोटें आ जाए और उनको उपचार की आवश्यकता पड़े। इसलिए पहला झूठ तो यही है कि पुलिस ने प्रदर्शनकारी छात्रों की बेरहमी से पिटाई की। पिटाई होते भी यह देखा गया है कि कुछ छात्र-छात्राएं आराम से खड़े अपने साथी को पिटते देख रहे हैं। इससे यह भी निष्कर्ष निकलता है कि प्रदर्शन के तौर-तरीकों को लेकर संभवतः उनके बीच मतभेद था। ऐसे प्रदर्शनों में ऐसा स्वाभाविक होता है। कुछ कहते हैं कि हम एक सीमा तक अपना प्रदर्शन करके निश्चित समय में वापस आ जाएंगे तो कुछ उसे आगे जाने की बात करने लगते हैं। ऐसा लगता है इनके समूह में भी था।

वीडिया में एक लड़की की पिटाई देखी जाती है। लेकिन उसका चेहरा नहीं दिखता है। पुलिस कह रही है कि वह लड़की नहीं बड़े बालांें वाला लड़का था। इसे आसानी से वीडिया को स्लो मोशन में देखकर पहचाना जा सकता है। वैसे भी दिल्ली पुलिस के जवाब लड़कियों या महिलाओं को उस प्रकार हाथ से नहीं मारते हैं। अगर यह सच है तो फिर ये छात्र संगठन और उनका समर्थन करने वाली मीडिया एकदम झूठ फैला रही है। वैसे भी यह प्रश्न अनुत्तरित है वे वहां गए क्यों? वहां उनके प्रदर्शन करने का उद्देश्य क्या था? किसने उस प्रदर्शन की योजना बनाई? पुलिस की अस्वीकृति के बावजूद वे वहां जाने पर क्यों अड़े रहे? इन प्रश्नों का उत्तर तलाशना इसलिए जरुरी है क्योंकि देश में कभी असहिष्णुता का मुद्दा चलता है, पुरस्कार वापसी होती है तो इस समय रोहित बेमुला की आत्महत्या के मामले को उसी रास्ते पर ले जाने की कोशिश हो रही है। आखिर हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय के छात्र रोहित बेमुला की दुखद आत्महत्या को लेकर आरएसएस कार्यालय पर प्रदर्शन करने का क्या मतलब है? क्या उसमें कहीं से भी आरएसस की भूमिका है? बेमुला ने अपने पत्र में तो इसे किसी तरह जातीय उत्पीड़न तक का मामला नहीं माना है। फिर ये संगठन इतने आक्रामक क्यों हैं संघ एवं भाजपा के खिलाफ? ये क्यों नहीं उसकी निष्पक्ष जाचं के निष्कर्षों की प्रतीक्षा कर रहे हैं? न्यायिक जांच आयोग का आदेश हो गया है, तेलांगना सरकार ने सीबीसीआईडी को मामला सौंप दिया है। इसके बाद जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जानी चाहिए। कुछ संगठन और लोग अगर जानबूझकर देश में इसके आधार पर झूठ फैलाना चाहते हैं और उस झूठ को क्रांतिकारिता साबित करने के लिए इस तरह धरना प्रदर्शन करेंगे तो फिर संघ के कार्यकर्ता और संमर्थक भी इनका विरोध करने आएंगे और उसके बाद क्या होगा उसका एक ट्रेलर हमने संघ कार्यालय के सामने देखा है।

 अभी तक का अनुभव यही है कि जब भी किसी राजनीतिक दल या संगठन के कार्यालय पर आक्रामक विरोध प्रदर्शन किया जाता है उसमें हिंसा हो जाती है। दोनों पक्षों में टकराव भी हुआ है। भाजपा कार्यालय पर आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन को याद कीजिए। कितनी हिंसा हो गई थी। उसी तरह भाजपा कार्यालय पर कांग्रेस के प्रदर्शन के समय भी भीड़ंत हुई थी। कांग्रेस कार्यालय पर भाजपा के प्रदर्शन के साथ भी यही हुआ था। इसलिए किसी के कार्यालय पर इस तरह के विरोध प्रदर्शन पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। किंतु कुछ संगठनों का फैशन है कि किसी तरह आरएसएस और भाजपा का विरोध करो और आप पूर्ण विरोधी हो इसे प्रदर्शित करने के लिए जितना आक्रामक हो सकते हो करो, इसके लिए झूठ और पाखंड का जितना सहारा लेना हो लो, आपको इसमें देश के बड़े वर्ग का, भाजपा विरोधी दलों का, मीडिया के एक भाग का पूरा समर्थन भी मिलेगा। यही रोहित बेमुला के मामले में हो रहा है। बिना अनुमति के आप प्रदर्शन करने गए वहां आपने अश्लील शब्दों का प्रयोग किया, पुलिस को मजबूर किया कि वह आपके खिलाफ कार्रवाई करे और अब आप पीड़ित बताकर यह साबित करने की गंदी राजनीति कर रहे हैं कि दिल्ली पुलिस ने जो केन्द्र सरकार के अंदर है वह आरएसएस और भाजपा के इशारे पर आपके साथ बर्बरता बरती है। इसे देश का बहुसंख्य स्वीकार नहीं करेगा।

अवधेश कुमार, ई.ः30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूर.ः01122483408, 09811027208

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