गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

भारत ने दिखाया आपदा प्रबंधन अपनी सक्षमता

 

अवधेश कुमार

निश्चय ही यह देखकर राजनीतिक दुराग्रहों से परे हर व्यक्ति को गर्व होगा कि आज नेपाल से भी भारत के प्रधानमंत्री का गुणगान हो रहा है। सच कहंें तो यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नहीं भारत का गुणगान है। जिस ढंग से भारत ने भूकंप की सूचना मिलते ही बिना देरी किए अपने देश के साथ नेपाल में राहत और बचाव आरंभ कर दिया तथा धीरे-धीरे विनाशलीला की विस्तृत खबर आने के साथ उसका विस्तार करता गया है उसके बाद नेपाल के लोग इस त्रासदी और शोक की घड़ी में भी अपनी कृतज्ञता ज्ञापन कर रहे हैं। इसके पूर्व देश के बाहर तो छोड़िए अंदर भी प्राकृतिक आपदा के संदर्भ में राहत व बचाव के मामले में हमारा रिकॉर्ड उत्साहित करने वाला नहीं रहा है। ऐसा नहीं है कि आपदा में राहत पहले नहीं हुए, लेकिन यह स्थिति कभी नहीं पैदा हुई जिसमें हम विश्वासपूर्वक यह मान सकें कि वाकई प्राकृतिक विनाश की स्थिति में हमारा आपदा प्रबंधन उसी तरह हमारी पीठ पर हाथ रखकर हमें बचा लेगा जिस तरह पश्चिमी देशों की आपदा राहत एजेंसियां। इसके अनेक प्रमाण मौजूद हैं जब केवल आपदा प्रबंधन की दुर्बलता से जानमाल की व्यापक क्षति का सामना भारत को करना पड़ा। वर्तमान भूकंप की विनाशलीला में यह छवि और स्थिति बदली है। भले यह त्रासदी बहुत बड़ी है, पर इस सच को स्वीकार करने से हमारे लिए कुछ उम्मीद बंधती है।  राजनीतिक विचारधारा से परे हटें तो हमें इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देना होगा।

यह कोई भी स्वीकार करेगा कि ऐसे संकटों के क्षण में पूरा दारोमदारं राजनीतिक नेतृत्व पर निर्भर करता है। जितनी तत्परता, सूझबुझ और संकल्प से वह पहल करेगा आपदा राहत उतने ही बेहतर एवं कुशल तरीके से संभव हो सकेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसे समय के अनुकूल नेतृत्व की भूमिका निभाई है। भूकंप की सूचना मिलते ही मोदी ने केन्द्र सरकार की संकट प्रबंधन समिति को निर्देश दिया कि तुरत सारी सूचनाएं लेकर बैठक करें,ं जितना संभव है उसकी सूची बनाएं एवं अमल में लायें। इसमें राष्ट्रीय आपदा राहत बल की पहली टीम राज्यों के साथ काठमांडू पहुंच जायें ऐसा निर्देश भी था। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि यह उनकी जिम्मेवारी थी, पर सूचना उन्ंहें प्रधानमंत्री से मिली। वस्तुतः मोदी ने इसके बाद प्रभावित उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल तथा सिक्किम के मुख्यमंत्रियों से बातचीत की। उसके साथ प्रधानमंत्री ने नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोईराला और राष्ट्रपति रामवरण यादव से बात की। कहा जाता है कि कोईराला फोन पर ही फुट फुट कर रोने लगे तो मोदी ने उन्हें ढाढस बंधाया और कहा कि आपका संकट हमारा संकट है, आपको जो चाहिए भारत वो सब आपके समय और आपके बताये स्थानों पर पहुंचाएगा। इतना सब करने के बाद तब प्रधानमंत्री ने अपनी अध्यक्षता में पहली उच्च स्तरीय बैठक की। उसमें प्रमुख मंत्रियों सहित सरकार एवं सभी संबंधित विभागों के उच्चाधिकारी मौजूद थे। उसके बाद सबकी मजबूरी थी पूरी तैयारी से आना और फिर राहत और बचाव की पूरी मशीनरी एक दूसरे के समन्वय के साथ सक्रिय।

गृह मंत्रालय और एनडीएमए में रात-दिन काम करने वाला नियंत्रण कक्ष बना है। कैबिनेट सचिवालय में अंतर सरकारी समन्वय प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है जो नेपाल और भारतीय राज्यों के लिए राहत उपायों का समन्वय कर रहा है। विदेश मंत्रालय ने चौबीस घंटे का एक नियंत्रण कक्ष शुरू किया है। भारतीय सेना ने नेपाल में ऑपरेशन मैत्री शुरू कर बचाव कार्य तेज कर दिया है। एनडीआरएफ की टीमें राहत-बचाव कार्य में जुटीं हैं। प्रधानमंत्री ने एनडीआरएफ के निदेशक जनरल ओपी सिंह को  स्वयं नेपाल जाने को कहा और वहां वे पहंुच गए हैं।  कुल मिलाकर इस समय नेपाल में करीब 15 विमान आौर 12 हेलीकॉप्टरों के साथ विशेषज्ञों और उपकरणों को भेजा जा चुका है। प्रधानमंत्री ने हर दिन इसी तरह बैठक की। राहत एवं बचाव कार्य से जुड़ी विभिन्न एजेंसियों द्वारा भारत और नेपाल में किए गए कामों तथा बाद में आए भूकंप के प्रमुख झटके के बाद की परिस्थितियों की समीक्षा की गई। इस समय करीब एनडीआरएफ की करीब 16 टीमें नेपाल में राहत और बचाव में लगी हैं। नेपाल में 3 लाख विदेशियों के फंसे होने की सूचना आई तो फिर उनको कैसे निकाला जाए। सभी को वायुमार्ग से लाना संभव नहीं। प्रधानमंत्री के निर्देश पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत से बातचीत की और उन्हें नेपाल में कल के भूकम्प के कारण वहां फंसे लोगों को निकालने के लिए बसों और एम्बुलेंसों के बेड़े की व्यवस्था करने का अनुरोध किया और हुआ कि नहीं इसके लिए भी संबंधित अधिकारियों को लगाया। गृह मंत्री ने एसएसबी को भारत-नेपाल सीमा पार करके यहां आने वाले पर्यटकों को चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने के लिए सीमा के साथ शिविर लगाने का भी निर्देश दिया और आप शिविर देख सकते हैं। राजनाथ सिंह ने आव्रजन ब्यूरो को निर्देश दिया कि नेपाल में फंसे सभी विदेशी पर्यटकों के भारत आने के लिए निशुल्क वीजा’ (ग्रैटिस वीजा) प्रदान किया जाए। आज स्पेन जैसे देश ने भी भारत से अपने नागरिकों को निकालने का अनुरोध किया है। ऐसा अनुरोध दूसरे देशों से आ रहा है। यह पश्चिमी देशों की नजर में भारत के आपदा प्रबंधन के सक्षम होने की छवि का ही प्रमाण है।

हालांकि इनमें भारत के प्रभावित राज्यों की अनदेखी नहीं हुई है। जरुरत के अनुसार राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने समन्वय के साथ काम की शुरुआत की। बचाव एवं राहत कार्य के लिए एनडीआरएफ की चार टीम तैनात की गई है। बिहार के गोपालगंज, मोतीहारी, सुपौल और दरभंगा जिले में एक-एक टीम की तैनाती की गई है और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक टीम तैनात की गई है।  केन्द्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुडी को इन क्षेत्रों मे आकलन और मौनिटरिंग की जिम्मेवारी दे दी गइ। मृतकों के परिजनों को राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से 4 लाख रुपए का बढ़ा हुआ मुआवजा मिलने का ऐलान हुआ। किसानों की बारिस और ओला से दुष्प्रभावित होने के बाद प्राकृतिक आपदा से होने वाली मृत्यु के मामले में मुआवजे की राशि 1.5 लाख रुपए से बढ़ा कर 4 लाख रुपए कर दी गई है। उपरोक्त राशि मृत व्यक्ति के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मिलने वाले दो लाख रुपए के अतिरिक्त है। गंभीर रूप से घायल लोगों के लिए 50,000 रुपए के मुआवजे की घोषणा की गई है।

 इस तरह नेपाल एवं भारत दोनों जगह एक समग्र आपदा प्रबंधन का अमल हमें दिख रहा है। लोगों ने जिस तरह मोदी को धन्यवाद दिया है, उनके धुर विरोधी नीतीश कुमार तक ने केन्द्र की व्यवस्था की प्रशंसा की है उससे हम धरातल की स्थिति का अनुमान लगा सकते है। हालांकि नेतृत्व नेपाली सेना के हाथों है जिसमें अनुभव की कमी है, इसलिए थोड़ी दिक्कतें हो रहीं हैं, क्योंकि उसकी हरि झंडी के बगैर हमारी टीेमें कूच नहीं कर सकतीं। पर हमारी अपनी व्यवस्था पूरी व्यवस्था एवं प्रतिक्रिया त्वरित तथा बिल्कुल सक्षम है। हमारी आपकी याददाश्त में यह पहली बार है जब मीडिया को नकारात्मक दिखाने के लिए बहुत कुछ नहीं मिल रहा है। याद करिए कोसी जल प्लावन को या केदारनाथ त्रासदी को। उस समय मीडिया की रिपोर्टें एवं आज की रिपोर्टों में तुलना कर लीजिए। निष्कर्ष आपके सामने होगा। मोदी ने कहा है कि धन्यवाद तो 125 करोड़ भारतवासियों को है जिन्होंने नेपाल के संकट को भी अपना संकट माना। उन्होंने उन युवाओं, संस्थाओं, स्वयंसेवकों को भी धन्यवाद दिया जो निःस्वार्थ भाव से राहत और बचाव में लगे हैं। वास्तव में किसी भी आपदा में केवल सरकार की भूमिका से राहत बचाव और पुनर्वास संभव नहीं है। आम लोगों, संगठनों, सस्थाओं सबको आगे आने की आवश्यकता होती है। पर इसमें भी राजनीतिक नेतृत्व की मुख्य भूमिका होती है कि कैसे वह लोगों को सेवा के लिए आगे आने को प्रेरित करे।

अवधेश कुमार, ई.ः30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूर.ः01122483408, 09811027208

 

 

 

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