रविवार, 17 मार्च 2013

अलेक्शिन्द्र वीनस बख्शी उर्फ नेहा बख्शी की पुस्तक "आरम्भ की ग्यारह कहानिया" का विमोचन

संवाददाता

नई दिल्ली निवोदित लेखिका नेहा बख्शी ने अपनी पुस्तक में गंगा जमुनी तहजीब की सशक्त मिसाल पेश की है। यह बात संसद ज़फर अली नकवी ने कही। उन्होंने व्यंग करते हुए कहा की आज सांसदों का जेल जाना जारी है, उन्होंने कहा की संसद को ही जेल का रूप दे देना चाहिए। आज पैसा कमाने की होड़ मे लोग गलत और सही के मायने भूल गए हैं। उन्हें नेहा की कहानियों में समाज को सुधारने की झलक दिखाई दी। उन्होंने कहा की नेहा का लेखन में पहला कदम है जो की सराहनीय रहा। उन्होंने नेहा को शुभ कामनाएं दी। वह नेहा बख्शी की पुस्तक "आरम्भ की ग्यारह कहानियां" के विमोचक समारोह को संबोधित कर रहे थे।

समारोह की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविध्यालय मे पूर्व डीन व हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रो. निर्मला जैन ने की। संसद नकवी ने कहा की ये ग्यारह कहानियां तेजीब, और राष्ट्रीय एकता की प्रतीक है। इनमे समाज के दर्द को उकेरा गया है। प्रो. निर्मला जैन ने कहा की लेखिका ने बाजारीकर्ण, सम्प्रदैकता और दूषित परियावरण पर भी लेखिका ने प्रकाश ढला है, उन्होंने कहा की यह किताब समाज को एक नयी दिशा दे सकती है, उन्होंने कहा की ग्यारह कहानियों में प्रसिध्य कहानीकार प्रेमचन्द्र जैसी कहानी में छाप दिखाई दे रही है। अपने सम्बोषण में कहा की राजनीति सबसे पहले मानवीय का हरण करती है। वर्तमान मे संसद पढ़ा अधिक रहे है और पढ़ कम रहे है। उन्होंने कहा की नेहा बख्सी ने जिस तरह से समाज की बुराइयों को कहानी के रूप मे पेश किया है, वह काबिलेतारीफ है।

लोकापर्ण समारोह का सञ्चालन साहित्यकार व कवी प्रो. प्रेम्जन्मेजय ने किया । आभार लेखिका नेहा बख्शी ने व्यक्त किया। इससे पहले कार्यक्रम का शुभआरंभ मुख्या अतिथि नकवी एवं अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया। समारोह मे बाबा पढ़ाधेश्वर के अलावा वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. हरेन्द्र चौधरी, अनिल महेश्वरी ने लेखिका की कहानियों की सराहना की। इस मोके पर संसद, रिटायर बी.बी बख्शी, ऐन आर आई ललित बख्शी सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विकास बख्शी, विशाल बख्शी व प्रबुद्ध लोग मौजूद थे।





http://mohdriyaz9540.blogspot.com/

http://nilimapalm.blogspot.com/

musarrat-times.blogspot.com

http://naipeedhi-naisoch.blogspot.com/

http://azadsochfoundationtrust.blogspot.com/