बसंत कुमार
अभी केंद्र सरकार ने सीएए का नोटिफिकेशन जारी किया है और कांग्रेस सहित विपक्षी दल इसे चुनावी स्टंट कह रहे है पर यह डा अंबेडकर के सपनो को मूर्त रूप देने का प्रयास है, जैसा सभी जानते है कि जब देश का धार्मिक आधार पर बटवारा हुआ तो डा अंबेडकर पूर्ण जनसंख्या स्थानांतरण की बात करते रहे पर नेहरू और गाँधी के मुस्लिम प्रेम ने डा आंबेडकर के इस सपने को पूरा नही होने दिया। परंतु उसके 75-76 साल बाद प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदीजी ने डा आंबेडकर के पूर्ण जनसंख्या स्थानांतरण के मूल सुझाव को समझते हुए नागरिकता संसोधन (सीएए) के माध्यम से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्प संख्यक समुदाय (हिंदू) को भारत मे नागरिकता देने का प्रावधान किया तो मुस्लिम वोट बैंक के खातिर सभी विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे है। विभाजन की स्थिति में जनसंख्या के पूर्ण स्थानांतरण के लिए डा आंबेडकर ने एक विस्तृत कार्ययोजना बनायी थी, जो उन्होंने अपनी पुस्तक' पाकिस्तान ऐंड पार्टिसन ऑफ इंडिया' के माध्यम से से वर्ष 1940 मे ही सबके सामने रख दी थी।
डॉ. आंबेडकर की योजना थी कि आटोमन सम्राज्य के पश्चात जिस प्रकार से ग्रीक, टर्की और बुल्गारिया के बीच जनसंख्या का स्थानांतरण हुआ, ठीक उसी प्रकार से यह भारत में भी हो सकता था। उन्होंने अपनी योजना मे सम्पति, पेंसन आदि के अधिकारों की अदला बदली की कार्ययोजना भी सामने रखी थी जिसे कांग्रेस ने असंभव कहकर ठुकरा दी, क्योंकि कांग्रेस के नेता हिंदू मुस्लिम गठजोड़ की झूठी कल्पनाओ मे भटक रहे थे। डा आंबेडकर ने एक साफ- सुथरे एवम स्थायी समझौते का स्वरूप सामने रखा पर महात्मा गाँधी और पंडित नेहरू ने दिवस्वप्न जैसी सुंदर दिखने वाले हिंदू मुस्लिम एकता को छोड़ने से मना कर दिया साथ ही साथ भारत विभाजन के द्वीराष्ट्र के सिद्धांत को पूरी तरह से स्वीकारने के पश्चात् जनसंख्या के पूरी तरह से स्थानांतरण के सिद्धांत को डॉ. आंबेडकर ने यह बता दिया था कि बगैर जनसंख्या के पूर्ण स्थानांतरण के पाकिस्तान बनने पर हिंदू (दलित) पाकिस्तान मे घिर जायेंगे इसलिए विभाजन से पूर्व इन्हे सुरक्षित बाहर निकालने की व्यवस्था होनी चाहिए, तमाम प्रयासो के बावजूद डा आंबेडकर की योजना व प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया गया और 1947 के बटवारे के पश्चात पाकिस्तान के अंदर बड़ी संख्या मे अनुसूचित जातियों के अलावा अन्य हिंदू आबादी वहा पर रुक गयी, लेकिन कुछ दिन बाद ही हिंदू मुस्लिम एकता का चेहरा सामने आने लगा, हिंदुओ को धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम बनाने व उनके साथ मारपीट करने से उनका जीवन दूभर हो गया, देश विभाजन के समय जनसंख्या की पूर्ण अदला बदली न होने से आधे से अधिक मुसलमान भारत में रुक गए जिनकी संख्या बढ़कर 18 करोड़ से उपर हो गयी है और वही पाकिस्तान मे रहने वाले हिंदुओ की संख्या एक करोड़ से घटकर महज चंद हजार रह गयी है।
डॉ. आंबेडकर ने यह सुझाव दिया था कि जनसंख्या के इस स्थानांतरण के लिए एक आयोग का गठन हो जो लोगो की चल अचल संपत्ति, पेंसन नौकरी आदि कि विस्तृत जानकारी तैयार करके लोगो को स्थानांतरित करने मे सहयोग करेगा। उनका मानना था कि जनसंख्या की पूर्ण अदला बदली ही हिंदुस्तान को एक राज्य बना सकती हैं और जब तक यह नही किया जाता तब तक देश मे अल्प संख्यक और बहु संख्यक का कोई समाधान नही निकलेगा, पाकिस्तान मे अल्पसंखक हिंदू हिकारत की जिंदगी जीते रहेंगे और भारत में गरीब मुस्लिम-दलित मुसलमान अलायंस के बल पर सत्ता मे वापसी का सपना देख रहे लोगो द्वारा भ्रमित किये जाते रहेंगे पर दुर्भग्यवश उस समय गाँधी, नेहरू और अन्य कांग्रसी नेताओ ने डॉ. आंबेडकर की बात नहीं मानी और धर्म निरपेक्षता के नाम पर विभाजन के समय लाखों लोगो का नर संहार देखते रहे।
आजादी के सात दशक बाद जब पाकिस्तान मे प्रताड़ित अल्प संख्यक हिंदुओ को सम्मान का जीवन देने के लिए प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदीजी द्वारा एक सकरात्मक पहल शुरू की गयी तो बमपंथियो और कांग्रेस के लोगो ने जगह जगह विरोध शुरू कर दिया तथा सीएए की अधिसूचना के खिलाफ जामिया यूनिवर्सीटी और जे एन यू मे भ्रमित युवको द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। जामिया के गेट पर लेफ्ट संगठन आइसा, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एस एफ आई), स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गजेसन ऑफ इंडिया (एस ओ आई) समेत कई संगठन इसका विरोध कर रहे हैं वही दूसरी ओर पाकिस्तान और अफगनिस्तान से आये शरणार्थियों ने सी ए ए लागू होने पर खुशी से होली मनाई और अब ये कह रहे है हम अब गर्व से कह सकते है कि हम भी इस महान देश के वासी है अब इनके बच्चे स्कूल भी जा सकेंगे और आम हिंदुस्तानी की तरह जीवन जी सकेंगे और डा आंबेडकर के इस सपने को प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदीजी द्वारा मूर्त रूप देना सचमुच स्वागत योग्य है।
(लेखक राष्ट्रवादी चिंतक और लेखक हैं।)
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