मंगलवार, 30 अप्रैल 2024

दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन व लम्हे जिंदगी के संस्था ने मिलकर 'काव्य गोष्ठी का आयोजन किया

संवाददाता

नई दिल्ली। दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं लम्हे जिंदगी के संस्था के संयुक्त तत्वावधान में 'काव्य गोष्ठी का आयोजन लम्हे जिंदगी के अध्यक्ष श्री विनय कुमार की अध्यक्षता में किया गया। कार्यकम में मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती आरती अरोड़ा, उपाध्यक्ष, संस्कार भारती एवं सुप्रसिद्ध समाज सेवी उपस्थित थीं। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. सैयद नज़म इकबाल, कार्यकम निर्माता, दिल्ली दूरदर्शन उपस्थित थे। सान्निध्य सम्मेलन की अध्यक्ष, श्रीमती इंदिरा मोहन का प्राप्त हुआ। संयोजन श्रीमती सरोजिनी चौधरी, सुपरिचित कवयित्री एवं डॉ. पूजा भारद्वाज, संस्थापिका 'लम्हे जिंदगी ने किया। काव्य गोष्ठी का संचालन श्रीमती पूजा श्रीवास्तव ने किया।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए श्रीमती आरती अरोड़ा ने दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं लम्हे जिंदगी दोनों संस्थाओं को बधाई देते हुए आभार प्रकट किया। उन्होंने बताया कि मुझे हमारे परिवार की तीसरी पीढ़ी के रूप में दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन से जुड़कर अच्छा लग रहा है। विश्वास है भविष्य में भी इसी प्रकार के साहित्यिक आयोजन संस्था द्वारा किए जाते रहेंगे। मेरी हार्दिक शुभकामनाएं हैं।
सान्निध्य वक्तव्य देते हुए श्रीमती इंदिरा मोहन ने कहा कि दि.हि.सा. सम्मेलन और लम्हे जिंदगी संयुक्त रूप से नई चेतना, नवीन विषय वस्तु और शिल्प के साथ आपके समक्ष है। सम्मेलन पिछले 80 वर्षों से निरंतर साहित्य की सेवा कर रहा है, जिसकी नींव पं. मदनमोहन मालवीय के मार्गदर्शन में राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन ने रखी थी और जिसे पल्लवित पं. गोपाल प्रसाद व्यास एवं श्री महेष चन्द्र शर्मा ने किया। उन्होंने कहा कि अच्छा है, महिलाएं अच्छा सोच रही है और लिख रही है। इसके लिए मैं उन्हें बधाई और शुभकामनाएं देती हूँ।
अध्यक्ष के रूप अपना उ‌द्बोधन देते हुए श्री विनय कुमार ने कहा कि इस काव्य गोष्ठी में आपकी उपस्थिति ही कार्यक्रम की श्रेष्ठता है। उन्होंने अपनी बात अपनी कविता के माध्यम से श्रोताओं तक पहुँचाने का प्रयास किया।
इस अवसर पर आमंत्रित कवि/कवयित्रियों ने अपने काव्य पाठ से सभी का मनमोह लिया।
डॉ. सैयद नज़म इकबाल : तेरी जुस्तजू की तालाश में, मेरी उम्र सारी गुजर गई,
श्री दिनेश तिवारी: मैं कहाँ-कहाँ संभालता, यह कदम कदम पर फिसल गई।। अगर देने की इच्छा है तो कुछ कम नहीं होता, और जीवन में किसकी के भी हमेशा गम नहीं होता।
श्री अवधेष तिवारी: कोशिश अगर करते रहे. तो हर मुष्किल का हल निकलेगा, बंजर है अगर भूमि, तो कल यहीं से जल निकलेगा। सारे रिश्तों की लाज रखते हैं।
श्री कृष्ण गोपाल अरोड़ा : नम्र अपना मिजाज रखते हैं।
श्रीमती बबली सिन्हा: बातों बातों में न ऐसी बातें कीजिए, दिल न टूटे किसी का ख्याल कीजिए।
श्री राजवीर 'राज' :
श्रीमती कामना मिश्र: ठंडी पीपल की छांव छोड आया हूँ, बूढी अम्बा को गांव छोड़ आया हूँ। तुम तो कहते थे कि हालात बदल जाएं, वक्त के साथ ख्यालात बदल जाएं। बाधाओं से लड़कर जीना अच्छा लगता है। जग हित में शिव को विष पीना अच्छा लगता है।
श्री ओंकार त्रिपाठी: जहां हो झूठ की सत्ता, वहां सच कौन बोलेगा। सच्ची सीधी बात किया कर, पीछे से न बार किया कर।
श्री सुरेन्द्र शर्मा: जिसको सुन बहने लगे, सुखद आंख से नीर, सत्य भाव कविता वही, जो हरती मल पीर।
आचार्य अनमोल: साथ ही श्री भूपेन्द्र राघव, श्री राजेष रघुवर, श्रीमती चंचल वशिष्ठ, डॉ. साक्षात भसीन, सुश्री संप्प्रीति, सुश्री पुनीता, सुश्री सुमन मोहिनी, सुश्री रष्भि चौबे आदि ने भी काव्य पाठ किया।
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