शुक्रवार, 1 मार्च 2024

युवाओं को बर्बाद करती शराब और नशीली दवाओं की लत

बसंत कुमार

पिछले सप्ताह कांग्रेस की न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में कहा कि यहां के युवा आधी रात को सड़कों पर शराब के नशे में धुत्त दंगा करते हैं। राहुल गांधी के इस बयान पर उन्हें आड़े हाथों लेते हुए प्रधानमंत्री जी ने इसे बनारस के युवाओं का अपमान कहा। हो सकता है कि राहुल गांधी ने यह बात राजनैतिक लाभ लेने के लिए कही हो और यह बात कुछ लोगों को अच्छी न लगी हो पर प्रधानमंत्री साहित अनेक बुद्धिजीवी लोग इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि विगत कुछ वर्षो में शराब और नशे की लत ने हमारी युवा पीढ़ी को तहस नहस कर दिया है।

हमारे समाज में शराब और अन्य नशीली दवाइयों के सेवन का रोग इतना अधिक बढ़ गया है कि इस विषय में कुछ कहा नहीं जा सकता। दिल्ली सरकार के दो मंत्री और एक वरिष्ठ सांसद शराब बिक्री के घोटाले में वर्ष भर से जेल में हैं और सर्वोच्च न्यायालय से भी इनको जमानत नहीं मिल पा रही है। आश्चर्य की बात यह है कि दिल्ली में उस दल की सरकार है जिसका जन्म अन्ना हज़ारे की भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से हुआ था पर इस दल की सरकार के शराब घोटाले ने पिछली सरकार के सभी घोटालों को पीछे छोड़ दिया है।

दिल्ली के नागरिकों को शराब की एक बोतल के साथ एक फ्री का ऑफर देकर गरीब लोगों को अपने घर की दाल रोटी की जरूरतों को भूल कर शराब की दुकानों के आगे लंबी लाइनों में खड़ा होने के लिए बाध्य कर दिया। हमने डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर बिक्री को प्रमोट करने के लिए एक के साथ एक फ्री की स्कीम सुनी थी पर शराब की बिक्री में एक के साथ एक फ्री नहीं सुना था पर केजरीवाल सरकार ने यह भी कारनामा करके दिखा दिया। वैसे देश में चुनावों के समय इतनी शराब की खपत होती हैं और नेताओं के मुख से शराब का सेवन करने वाले युवाओं को कोसना कुछ ठीक नहीं लगता।

वर्ष 2019 में कोरोना महामारी के दौरान जब सारी दुनिया लॉकडाउन के कारण अपने घरों में सिमट गई थी और जीने के लिए आवश्यक वस्तुओं का मिलना मुश्किल हो गया था, दुकाने भी कुछ सीमित समय के लिए खुला करती थी। लोग कोरोना काल के प्रतिबंधों का पालन करते हुए ही अपने जीने की अवश्यक वस्तुए ले पा रहे थे, बीमार लोगों को बमुश्किल अस्पतालों में एडमिशन मिलता था, लोग सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए अपने जरूरी काम निपटा रहे थे। शादी ब्याह में भी बमुश्किल 10-15 लोग ही शामिल हो सकते थे, यहां तक की लोगों की मैय्यत (शव यात्रा) में भी कुछ गिने-चुने लोग ही शामिल हो सकते थे। ऐसे नाजुक समय में केजरीवाल की दिल्ली सरकार ने दिल्ली में शराब की दुकाने खोल दी और आलम यह हो गया कि कोरोना की परवाह किए बिना ही लोगों ने शराब की दुकानों के सामने एक-एक किलोमीटर लम्बी लाइन लगा दी थी और सोशल डिस्टेंसिंग की बात कौन कहे लोग शराब लेने के लिए एक-दूसरे के ऊपर चढ़ रहे थे अर्थात शराब के लिए लोग जीने-मरने की परवाह नहीं कर रहे थे।

कहने के लिए देश के कई प्रदेशों विशेषकर गुजरात और बिहार में शराब की बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित है परंतु दोनों प्रदेशों में किसी भी समय किसी भी ब्रांड की शराब मिल जाती है। बस फर्क यह होता है कि 500 वाली 2000 रूपए में मिलती है, जो लोग महंगी शराब खरीदने की क्षमता वे सस्ती के नाम पर जहरीली शराब पीते है जिसका परिणाम यह होता है कि हर साल जहरीली शराब पीने से हजारों लोग मर जाते है और इतने ही परिवार तबाह हो जाते है।

आज शराब हमारे अंदर इतनी समा गई है कि आज लोग श्मशान में भी जाते समय शवदाह करने के पश्चात शराब पीने लगे हैं, पहले शादी से संबंधित तिलक व सगाई की रश्मों में शराब का बिल्कुल सेवन नहीं होता था पर आज शराब के बिना ये रश्मे पूरी ही नहीं होती, पुरानी प्रथा के अनुसार कन्या का पिता अपनी बेटी के ससुराल का पानी भी नहीं पीता था पर आज हमारी संस्कृति पर पश्चिम का असर इतना अधिक हो गया है कि कन्या के पिता सहित सभी लोग जब तक शराब का सेवन न कर लें तब तक रस्म पूरी ही नहीं होती। आज हर रस्म और समारोह में जब तक शराब न परोसी जाए तब तक समारोह का आनंद नहीं आता या यूं कहे लें ये सब स्टेट्स सिम्बल बन गया है जो भारतीय संस्कृति पर सबसे बड़ा अभिशाप हो गया है। हिंदू धर्म के तीज त्योहारों में शराब का बढ़ता सेवन हिंदू संस्कृति को तबाह कर रहा है, विशेषकर दुर्गा या गणपति विसर्जन के समय जुलूस में जाते समय युवा डीजे पर शराब के नशे में नाचते हुए अश्लील गाने बजाते हुए जाते हैं तो हर व्यक्ति यह समझ सकता है कि हम अपने धर्म के प्रति कितने आस्थावान रह गए हैं।

अयोध्या में भगवन राम के मन्दिर की स्थापना के बाद पूरे देश का वातावरण पूरा राममय हो गया है और हर व्यक्ति रामराज्य की स्थापना की आश लगाए बैठा है पर जिस प्रकार से शराब में धुत युवा धार्मिक कार्यक्रम को कर रहे हैं उससे रामराज्य की स्थापना कहीं भी संभव नहीं लगती। शराब के अतिरिक्त कुछ और नशीली दवाओं ने स्थिति को और भी बदतर बना दिया है। यह लत इतनी खतरनाक हो गई है कि युवा इसके न मिलने से आत्महत्या कर लेते हैं। नशे के कारण होने वाली मौतों की गंभीरता को समझते हुए केंद्र सरकार ने 1995 से इस संबंध में आंकड़े जारी करने शुरू कर दिये हैं। बीते कुछ वर्षो में शराब और नशे के कारण होने वाली मौतों में चिंताजनक वृद्धि हुई है, इसको रोकने के सरकारी प्रयासों के बावजूद ये घटनाएं घटने के बजाय बढ़ रही है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ सामाजिक प्रयासों की अवश्यकता है।

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